नई दिल्ली: भारतीय सेनाएं आज का दिन ‘विजय दिवस’ के रूप में मना रही हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को नई दिल्ली में स्वर्णिम विजय वर्ष के अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर डाक टिकट जारी किया।
उन्होंने ‘स्वर्णिम विजय दिवस’ के मौके पर पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध के दौरान सशस्त्र बलों के साहस, वीरता एवं बलिदान को याद किया। अपने अनेक ट्वीट् संदेश में रक्षा मंत्री ने 1971 के युद्ध को भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय करार दिया।
उन्होंने 1971 के युद्ध की कुछ पुरानी एवं महत्वपूर्ण तस्वीरें भी साझा कीं, जिनमें समर्पण के समय तैयार किये गए दस्तावेज की तस्वीर भी शामिल है।
1971 के युद्ध में भारत की जीत के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में स्वर्णिम विजय वर्ष मनाया जा रहा है।
इसका उद्देश्य उस युद्ध में शामिल होने वाले दिग्गजों के प्रति सम्मान प्रकट करने के अलावा सामान्य रूप से जनता और विशेष रूप से सशस्त्र बलों के बीच सामंजस्य, राष्ट्रवाद तथा गौरव का संदेश प्रसारित करना है।
उन्होंने कहा कि ‘स्वर्णिम विजय दिवस’ के अवसर पर हम 1971 के युद्ध के दौरान अपने सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान को याद करते हैं। 1971 का युद्ध भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। हमें अपने सशस्त्र बलों और उनकी उपलब्धियों पर गर्व है।
उधर, भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि 16 दिसंबर लिबरेशन वार 1971 में पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों की जीत ‘स्वर्ण जयंती’ का प्रतीक है।
आइए, इस दिन 1971 के मुक्ति संग्राम में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा प्रदर्शित किए गए साहस और धैर्य को सलाम करें। सेना की उत्तरी कमान ने कहा कि स्वर्णिम विजय वर्ष पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है।
पाकिस्तान पर अपनी शानदार जीत में हमारे रक्षा बलों द्वारा प्रदर्शित वीरता और कच्चे साहस की कहानियां देश के युवाओं को प्रेरित करती रहती हैं।
पश्चिमी कमान की स्वर्णिम विजय वर्ष मिशन प्रथम ब्रिगेड ने सांबा में वीर भूमि स्थल पर लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल के पुनर्वासित स्मारक का उद्घाटन किया। इस अवसर पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और युद्ध के दिग्गजों और वीर नारियों को सम्मानित किया गया।
सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने 1971 के युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में फोर्ट विलियम में ‘स्वर्णिम विजय द्वार’ का उद्घाटन किया।
लेफ्टिनेंट कर्नल सुरजीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान अपने अनुभव साझा करते हुए बहादुरों को श्रद्धांजलि दी।
रक्षा मंत्रालय ने एक ट्विट में कहा कि सदी का ऐतिहासिक युद्ध हमारे सशस्त्र बलों की वीरता और कर्तव्य से परे बहादुरी का एक चमकदार उदाहरण है।
इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान पर करारी हार थोपी और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अब तक का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण कराया।
इस अवसर पर भारतीय सेना की स्ट्राइक -1 कोर ने भी 1971 के युद्ध में बसंतार की लड़ाई के 50 साल पूरे होने पर सभी शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के राजकुमार आदित्य वर्मा ने 16वीं बटालियन मद्रास रेजिमेंट (त्रावणकोर) में पूर्व सैनिक केरल विंग के स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह का उद्घाटन किया।
समारोह की शुरुआत कोर वॉर मेमोरियल पर माल्यार्पण के साथ हुई और इसके बाद फर्स्ट डे कवर और बसंतर डे ट्रॉफी जारी की गई।
लेफ्टिनेंट जनरल एमके कटियार ने कहा कि बसंतर की लड़ाई सैन्य इतिहास के सबसे भयंकर युद्धों में से एक थी, जहां एक ही दिन में स्ट्राइक 1 के बहादुरों ने 53 दुश्मन टैंकों को नष्ट करके 61 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था।
राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीरों को सम्मानित करने के लिए विजय दिवस पर रियर एडमिरल अतुल आनंद फोमा ने मुंबई के नौसैनिक गोदी में गौरव स्तंभ पर पुष्पांजलि अर्पित की।
सम्मान के तौर पर दो मिनट का मौन भी रखा गया। भारतीय नौसेना ने ट्विट किया कि 03 दिसंबर 1971 की शाम को तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने घोषणा की-”मैं अपने देश के लिए गंभीर संकट के क्षण में आपसे बात करती हूं…पाकिस्तान वायु सेना ने अचानक अमृतसर, पठानकोट, श्रीनगर, अवंतीपुर, उत्तरलाई, जोधपुर, अंबाला और आगरा में हमारे हवाई क्षेत्रों पर हमला किया।
” भारत और पाकिस्तान के बीच पहली दुश्मनी छिड़ गई थी।हालांकि, पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी नवंबर के अंत से भारत के पूर्वी तट पर पहले से ही शिकार पर थी, इसका लक्ष्य विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना का गौरव था।