नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू कैंपस में कोविड केयर सेंटर खोलने में देरी करने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है।
जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो 19 जनवरी तक ये बताएं कि कोर्ट के पहले के आदेशों का पालन क्यों नहीं किया गया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने जेएनयू कैंपस में कोविड केयर सेंटर खोलने का कई बार आदेश दे चुकी है।
लेकिन अभी तक कैंपस में कोविड केयर सेंटर शुरू नहीं हो पाया। कोर्ट ने कहा कि जेएनयू प्रशासन ने इस सेंटर के लिए एक अलग स्थान भी उपलब्ध करा दिया है, ऐसे में सेंटर का शुरू नहीं होना दिल्ली सरकार की लापरवाही को ही दर्शाता है।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील को निर्देश दिया कि वे 19 जनवरी तक दिल्ली सरकार से पूछकर बताएं कि अभी तक कोविड केयर सेंटर शुरू क्यों नहीं हो पाया।
जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन ने दायर याचिका में जेएनयू परिसर में कोविड केयर सेंटर स्थापित करने की मांग की है।
पहले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा था कि युनिवर्सिटी प्रशासन ने कोविड केयर सेंटर के लिए साबरमती डोरमिटरी दिया है, लेकिन वहां न तो डॉक्टर उपलब्ध कराया गया और न ही जरुरी इंफ्रास्ट्रक्टर मिला है।
कोर्ट ने 12 मई 2021 को निर्देश दिया था कि जेएनयू परिसर में कोविड केयर सेंटर की स्थापना की जाए। ताकि कैंपस में रहनेवाले लोगों को कोरोना का संक्रमण होने पर उन्हें आइसोलेट किया जा सके।
28 मई 2021 को जेएनयू प्रशासन ने कोर्ट को बताया था कि कोविड केयर सेंटर के लिए जगह उपलब्ध करा दिया गया है।
इसकी सूचना संबंधित एसडीएम और दिल्ली सरकार को दे दी गई है। अब दिल्ली सरकार को डॉक्टर, नर्स और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराना है। इस पर दिल्ली सरकार ने कहा था कि वो जरुरी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।
बता दें कि ये याचिका कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि छात्र 13 अप्रैल 2021 से ही कोरोना के बढ़ते मामलों की शिकायत कर रहे थे।
लेकिन युनिवर्सिटी के कुलपति और प्रशासन ने एक महीने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया। कोर्ट ने जेएनयू की इस बात के लिए फटकार लगाई थी कि उसने कोरोना की रोकथाम और पीड़ितों के इलाज के लिए न तो स्थानीय अस्पताल से कोई संपर्क किया और न ही संबंधित प्राधिकार से संपर्क किया।
कोर्ट ने कहा था कि युनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों और शिक्षकों के स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार है। जब दूसरी संस्थाएं और संगठन अपने हिसाब से अपने कर्मचारियों और संबंधित पक्षों के लिए इंतजाम कर रही थी तो जेएनयू क्यों नहीं कर सकती थी।