नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि लोकतंत्र केवल जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए बनी शासन प्रणाली भर नहीं है बल्कि यह जनता के साथ और जनता में समाहित है।
मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से आयोजित लोकतंत्र शिखर सम्मेलन में भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य शुक्रवार को प्रस्तुत करते हुए कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों ने लोकतांत्रिक विकास के विभिन्न रास्तों को अपनाया है।
इस संबंध में हम एक दूसरे के साथ बहुत कुछ सीख सकते हैं। हमें लोकतंत्र की प्रणाली और उसके व्यवहार में लगातार सुधार करते रहना चाहिए।
प्रयास होना चाहिए कि लोकतांत्रिक प्रणाली का समावेशी चरित्र लगातार मजबूत होता रहे। साथ ही पारदर्शिता, मानवीय गरिमा, लोगों की समस्याओं का त्वरित निदान तथा सत्ता का विकेन्द्रीकरण सुनिश्चित हो।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र नागरिकों की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम है। हमें मानवता की भलाई के लिए लोकतांत्रिक भावनाओं को पुष्ट करना चाहिए। भारत इस संबंध में दुनिया के अन्य लोकतांत्रिक देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संचालित करने के लिए दुनिया के अन्य देशों के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए तैयार है।
साथ ही वह डिजिटल माध्यमों के जरिए शासन प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के संबंध में भी जानकारी मुहैया करने के लिए उत्सुक है।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया और क्रिप्टो करंसी जैसे मामलों में विश्वव्यापी तौर-तरीकों को बनाने में विभिन्न देशों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि इससे लोकतांत्रिक प्रणाली कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बन सके।
मोदी ने कहा कि शिखर सम्मेलन में दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के प्रतिनिधि के रूप में शामिल होने पर वह गौरवांवित महसूस करते हैं।
लोकतांत्रिक भावना भारत की सभ्यता का मूलभूत हिस्सा है। इस संबंध में उन्होंने भारत में ढाई हजार वर्ष पूर्व लिच्छवी और शाक्य लोकतांत्रिक जनपदों का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी के दौर में भी भारत के लोगों की लोकतांत्रिक भावनाओं को दबाया नहीं जा सका। आजादी के बाद लोकतांत्रिक भावना को फलने-फूलने का पूरा मौका मिला।
पिछले 75 वर्षों के दौरान भारत ने लोकतांत्रिक देश के रूप में असाधारण प्रगति की है।
मोदी ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की सफलता ने दुनिया को साफ संदेश दिया है कि लोकतंत्र के जरिए जनकल्याण हो सकता है, हो रहा है और भविष्य में भी होता रहेगा।