New Delhi News: देश की बैंकिंग व्यवस्था नकदी संकट के दौर से गुजर रही है। महाकुंभ में करोड़ों रुपये की निकासी के चलते बैंकों के पास लोन बांटने के लिए भी पैसे की कमी हो गई है।
अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में कटौती करने पर विचार कर रहा है, ताकि बैंकों को पूंजी मिल सके।
नकदी संकट का कारण
SBI रिपोर्ट के मुताबिक, महाकुंभ के दौरान खुदरा जमाकर्ताओं ने बैंकों से बड़ी मात्रा में नकदी निकाली, जिसे वे आयोजन में खर्च कर चुके हैं।
लेकिन निकाली गई रकम का एक बड़ा हिस्सा अभी तक बैंकों में वापस नहीं आया है। इससे बैंकिंग सिस्टम में तरलता का संकट पैदा हो गया है।
आंकड़ों में संकट
नवंबर 2023: 1.35 लाख करोड़ रुपये का बैलेंस
दिसंबर 2023: 0.65 लाख करोड़ रुपये का घाटा
जनवरी 2024: 2.07 लाख करोड़ रुपये का घाटा
फरवरी 2024: 1.59 लाख करोड़ रुपये का घाटा
आरबीआई का संभावित कदम
SBI रिपोर्ट के अनुसार, नकदी संकट से उबरने के लिए RBI को जल्द ही CRR में कटौती करनी होगी। फरवरी की MPC बैठक में RBI ने CRR में 0.50% की कटौती की थी, जिससे बैंकिंग सिस्टम में 1.10 लाख करोड़ रुपये की पूंजी आई।
लेकिन यह रकम संकट दूर करने के लिए नाकाफी साबित हुई है।
क्या है CRR?
CRR यानी नकद आरक्षित अनुपात वह राशि है, जो बैंकों को अपनी कुल जमा का एक निश्चित हिस्सा RBI के पास जमा करना होता है। CRR घटने से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए ज्यादा पैसा बचता है। जल्द ही RBI की अगली बैठक में इस पर फैसला लिया जा सकता है।
अगर CRR में कटौती होती है, तो इससे बैंकिंग सेक्टर में नकदी संकट कुछ हद तक दूर हो सकता है।