नई दिल्ली: भारत में कोविड मामलों की संख्या में अचानक वृद्धि देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते प्रकोप से प्रेरित है, जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि तीसरी लहर शुरू हो चुकी है। विशेषज्ञों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
ओमिक्रॉन के तेजी से फैलने के कारण भारत के अधिकांश राज्यों और बड़े शहरों में कोविड के मामलों में तेज वृद्धि देखी गई है, जो त्योहारों के मौसम में भी नहीं देखी गई थी।
31 दिसंबर को, भारत में 16,764 नए कोविड मामले दर्ज किए गए थे, जो इससे एक दिन पहले दर्ज किए गए मामलों से 27 प्रतिशत अधिक थे। मई के मध्य से लगातार गिरावट के बाद दिसंबर के अंतिम सप्ताह में मामलों की औसत संख्या में वृद्धि हुई है।
29 दिसंबर को, 13,187 मामले दर्ज किए गए, जिसमें इसके पिछले सप्ताह के संक्रमणों की तुलना में 76.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
कोच्चि स्थित अमृता अस्पताल में एसोसिएट प्रोफेसर (संक्रामक रोग विभाग) डॉ. दीपू टी. एस. ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा, उभरते हुए वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि पहली बार बोत्सवाना में पाया गया ओमिक्रॉन वैरिएंट भारत में संक्रमणों में हालिया वृद्धि का मुख्य कारण है।
उन्होंने कहा, ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इन्फ्लुएंजा डेटा (जीआईएसएआईडी) के आंकड़ों के अनुसार – वायरल जीनोमिक डेटा के लिए एक ओपन-एक्सेस रिसॉर्स – ओमिक्रॉन ने भारत में सबसे आम (मोस्ट कॉमन) के रूप में अन्य सभी वैरिएंट्स को पीछे छोड़ दिया है। दिसंबर के अंतिम कुछ दिनों के दौरान भारत में अनुक्रमित लगभग 60 प्रतिशत नमूनों में ओमिक्रॉन वैरिएंट पाया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, भारत में सोमवार को 24 घंटे की अवधि में 33,750 नए कोविड-19 मामले दर्ज किए गए हैं और इस दौरान संक्रमण की वजह से 123 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
नए मामलों के बाद अब सक्रिय कोविड मामलों की संख्या 1,45,582 तक पहुंच चुकी है और देश भर में कोविड की वजह से मरने वालों की संख्या 4,81,893 हो गई है।
मंत्रालय ने कहा कि इस बीच, 23 राज्यों से देश भर में ओमिक्रॉन संक्रमण की संख्या बढ़कर 1,700 हो गई है।
विशेषज्ञों ने कहा कि बेशक अभी आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की गई है, मगर कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर भारत में पहले ही शुरू हो चुकी है।
मुंबई के परेल में ग्लोबल हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर हेड, सीनियर कंसल्टेंट डॉ. प्रशांत बोराडे ने आईएएनएस से कहा, मेरी राय में, भारत में तीसरी लहर शुरू हो गई है।
यह 72 घंटों से भी कम समय में कोविड-19 मामलों के दोगुना होने के साथ बहुत स्पष्ट है। साथ ही, चिकित्सकों का मानना है कि परीक्षण किए गए और रिपोर्ट किए गए रोगियों की संख्या सिर्फ हिमशैल की नोक (असल में जितनी संख्या है, उसका कुछ प्रतिशत ही सामने आया है) हो सकती है।
उन्होंने कहा कि समुदाय में फिलहाल बिना लक्षण के मामले देखने को मिल रहे हैं और जिन लोगों में लक्षण पाए जा रहे हैं, उनमें भी बहुत हल्के हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे भी कई मामले हैं, जहां हल्के लक्षणों वाले मरीज टेस्ट नहीं करा रहे हैं और वह पारिवारिक चिकित्सक या ओटीसी द्वारा निर्धारित दवाएं ले रहे हैं।
डॉ. दीपू के अनुसार, भारत के अधिकांश राज्यों में हाई बेसिक रिप्रोडक्शन नंबर (आरओ) है, जिसे महामारी विज्ञानियों ने समुदाय के भीतर होने वाले संचरण की सीमा को समझने के लिए एक संकेतक के रूप में संदर्भित किया है।
यह एक संवेदनशील व्यक्ति और एक संक्रामक व्यक्ति के बीच प्रति संपर्क संक्रमण के संचरण की संभावना और संपर्क दर को मापता है।
उन्होंने कहा, अगर हम अपने देश में संख्याओं को देखें, तो दिल्ली में कई महीनों तक प्रतिदिन 100 से 150 मामले दर्ज किए जाते थे, जबकि पिछले सप्ताह 1,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
यह आरओ 8 को दर्शाता है। इस प्रक्षेपवक्र के साथ हम आने वाले हफ्तों में मामलों की संख्या में भारी वृद्धि देख सकते हैं।
जैसा कि हम जानते हैं कि 3/4 से अधिक अनुक्रमित (सीक्वेंस्ड) मामलों को ओमिक्रॉन के रूप में पहचाना जा रहा है, जो कि दर्शाता है कि मामलों की वर्तमान स्पाइक (वृद्धि) और संभावित तीसरी लहर ओमिक्रॉन के कारण है।
महामारी विज्ञानियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्पाइक अगले दो सप्ताह तक जारी रहता है, तो यह तीसरी लहर की शुरुआत का संकेत देता है।
दीपू ने कहा, हालांकि सरकार ने आधिकारिक तौर पर अधिसूचित नहीं किया है, लेकिन कुछ शुरुआती संकेत हैं कि देश पहले ही तीसरी लहर के चरण में प्रवेश कर चुका है।
वायरस ने खुद को बदलने और अधिक फैलने की क्षमता दिखाई है। अन्य देशों के शुरुआती डेटा से पता चला है कि ओमिक्रॉन लहर डेल्टा लहर की तुलना में अधिक संक्रामक है, जो कम समय में अधिक लोगों को संक्रमित करती है।
हाल ही में यात्रा में छूट, स्कूल और अन्य कार्यस्थलों को खोलना, लोगों की ओर से एहतियात में कमी, भीड़भाड़ और टीकाकरण से बचना भी देश में मामलों में तेजी से वृद्धि के अन्य प्रमुख कारण हैं।
हालांकि, ओमिक्रॉन के विभिन्न आंकड़ों से पता चला है कि यह केवल हल्की बीमारी का कारण बनता है, और मरीज गंभीर रूप से बीमार नहीं होते हैं और इसलिए अस्पताल में भर्ती होने जैसी स्थिति अभी भी बहुत कम है।
आर्टेमिस अस्पताल के रेस्पिरेटरी/पल्मोनोलॉजी एंड स्लीप मेडिसिन मामलों के कंसल्टेंट डॉ. शिवांशु राज गोयल ने आईएएनएस से कहा, यह एक तरह से अच्छा है कि हम अंतत: हर्ड इम्युनिटी विकसित कर लेंगे, लेकिन फिर भी जो लोग बीमार हैं या जिन्हें मधुमेह जैसी बीमारियां हैं, उनके लिए अभी भी खतरा है।
गोयल ने लोगों को सलाह दी कि वे सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क से जुड़े मानदंडों का पालन करते रहें। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर अफसोस भी जताया कि अभी भी बहुत से लोग टीकाकरण को लेकर गंभीर नहीं है और उन्होंने वैक्सीन नहीं ली है।