फ्रांस ने सौंपा तीन आखिरी राफेल लड़ाकू विमान, इसी माह लाये जायेंगे भारत

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नई दिल्ली: फ्रांसीसी कम्पनी डसॉल्ट एविएशन से 2016 में किये गए 36 राफेल लड़ाकू विमान सौदे के आखिरी तीन जेट भी फ़्रांस में भारत को सौंप दिए गए हैं।

तीनों विमान फरवरी के तीसरे सप्ताह में हवाई मार्ग से भारत लाये जायेंगे। भारत ने राफेल विमानों की दो स्क्वाड्रन बनाई हैं, जिसमें से पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस की दूसरी स्क्वाड्रन को जुलाई, 2021 में ऑपरेशनल किया गया है।

फाइटर जेट राफेल चीन के साथ पूर्वी मोर्चे और पाकिस्तान के साथ पश्चिमी मोर्चे पर खतरों का मुकाबला करने के लिए तैयार है।

सभी विमानों के भारत आने के बाद डसॉल्ट एविएशन कंपनी नागपुर में राफेल लड़ाकू विमान का सर्विसिंग सेंटर भी स्थापित करेगी।

भारत ने 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 2016 में फ्रांस के साथ सौदा किया था। वायुसेना को मिलने वाले 36 राफेल विमानों में से 30 युद्धक विमान और छह प्रशिक्षण विमान होंगे।

फ्रांसीसी कम्पनी से पांच राफेल जेट का पहला जत्था 29 जुलाई, 2020 को अंबाला एयरबेस पहुंचा था। भारतीय वायुसेना ने औपचारिक रूप से इन फाइटर जेट्स को अपने बेड़े में 10 सितम्बर को शामिल किया था।

पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के बीच राफेल फाइटर जेट की मिसाइल स्कैल्प को पहाड़ी इलाकों में अटैक करने के लिहाज से अपग्रेड किया गया है।

एलएसी पर चीन से तनातनी के बीच भारत ने राफेल लड़ाकू विमानों को लद्दाख के फ्रंट-लाइन एयरबेस पर तैनात किया है।

इसके बाद से लगातार राफेल लड़ाकू विमानों के जत्थे भारत आते रहे और 2021 के अंत तक भारत को 33 राफेल मिल चुके हैं।

भारत को मिले 18 विमान अंबाला एयरबेस पर राफेल की पहली स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरो’ में रखे गए हैं। एक स्क्वाड्रन में 18 विमान होते हैं, इसलिए यह स्क्वाड्रन पूरी होने के बाद वायुसेना ने जुलाई, 2021 में राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन ‘फाल्कन्स ऑफ चंब एंड अखनूर’ पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस में शुरू की। 08 विमानों के साथ शुरू की गई इस स्क्वाड्रन में फिलहाल 15 विमानों को शामिल किया गया है।

फ़्रांस में अब लड़ाकू विमान सौदे के आखिरी तीन जेट भी भारत को सौंप दिए गए हैं। इन तीनों विमानों को फरवरी के तीसरे सप्ताह में हवाई मार्ग से भारत लाकर हाशिमारा स्क्वाड्रन को पूरा किया जायेगा।

पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के बीच राफेल फाइटर जेट की मिसाइल स्कैल्प को पहाड़ी इलाकों में अटैक करने के लिहाज से अपग्रेड किया गया है।

हाशिमारा स्क्वाड्रन मुख्य रूप से चीन स्थित पूर्वी सीमा की देखभाल के लिए जिम्मेदार है जबकि अंबाला की स्क्वाड्रन लद्दाख में चीन के साथ उत्तरी सीमाओं और पाकिस्तान के साथ अन्य क्षेत्रों की देखभाल करेगी।

हाशिमारा एयरबेस पर राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन बनाने की योजना पूर्वी क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की क्षमता को मजबूत करने के महत्व को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।

हाशिमारा स्क्वाड्रन के ऑपरेशनल होने से पूर्वी क्षेत्र में दुश्मन हमेशा भयभीत रहेंगे और भारतीय वायु सेना की पूर्वोत्तर में चीन सीमा पर ताकत बढ़ेगी।

इस स्क्वाड्रन का गौरवशाली इतिहास 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में सक्रिय भागीदारी होने से भी जुड़ा है।