नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार के एक मामले में सुनवाई टाल दिया है। स्पेशल जज एमके नागपाल ने 23 दिसंबर को दस्तावेजों के परीक्षण का आदेश दिया।
आज सुनवाई के दौरान सज्जन कुमार को पेश किया गया था। सज्जन कुमार ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही।
उसके बाद कोर्ट ने दस्तावेजों के परीक्षण के लिए 23 दिसंबर की तिथि नियत की। पिछले 4 दिसंबर को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।
मामला 1 नवंबर 1984 की है जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी।
शाम को करीब चार-साढ़े चार बजे दंगाईयों की भीड़ ने पीड़ितों के राज नगर इलाके स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया।
शिकायतकर्ताओं के मुताबिक इस भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे।
शिकायत के मुताबिक सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया।
भीड़ ने पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी को अंजाम दिया। शिकायतकर्ता की ओर से तत्कालीन रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाली जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147,148,149,395,397,302,307, 436 और 440 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए।
शिकायतकर्ता ने सज्जन कुमार की पहचान तब की जब उसने सज्जन कुमार की एक तस्वीर देखी। इस मामले को 1984 में बंद कर दिया गया था लेकिन जब एसआईटी ने इसे दोबारा खोलने का आदेश दिया तब राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आरोप तय किया। कोर्ट ने कहा कि इस बात के पर्याप्त तथ्य हैं कि आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए जाएं।