नई दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने बालिकाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण सहित लड़कियों से संबंधित विभिन्न विषयों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए सोमवार राष्ट्रीय बालिका दिवस पर सेव द गर्ल चाइल्ड पर एक वेबिनार का आयोजन किया।
इस वेबिनार के आयोजन, चर्चा का उद्देश्य लड़कियों के प्रति समाज के ²ष्टिकोण को बदलकर बालिकाओं के प्रति एक नए ²ष्टिकोण को बढ़ावा देना और उनके साथ होने वाले भेदभाव को कम करने के लिए जागरूकता पैदा करना था।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा, हरियाणा के पूर्व कैबिनेट मंत्री ओ.पी. धनखड़ और प्रज्ञा वत्स ने वेबिनार में पैनलिस्ट के रूप में भाग लिया।
रेखा शर्मा ने लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पसंद की स्वतंत्रता और निर्णय लेने के अधिकार से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि लड़कियां जीवन के सभी क्षेत्रों में लड़कों के बराबर खड़ी हैं और सरकार लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महिला केंद्रित नीतियों की शुरूआत कर रही है।
बोलीं, लड़कियों ने हर क्षेत्र में अपनी योग्यता साबित की है और राष्ट्रीय महिला आयोग, अपने कार्यक्रमों के माध्यम से हर क्षेत्र में लड़कियों की सुरक्षा और सशक्तिकरण सुनिश्चित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार लड़कियों को उनके नेतृत्व की गुणवत्ता का प्रदर्शन करने का अवसर देती रही है, लेकिन अभी भी समाज को अपनी प्रतिगामी मानसिकता को छोड़ने की जरूरत है ताकि लड़कियां आगे आ सकें और बदलाव की साझीदार बन सकें।
वहीं धनखड़ ने कहा कि सरकार समाज में बदलाव लाने के लिए सक्रियता से पहल कर रही है। परिवर्तन अब समाज में दिखाई दे रहा है।
हालांकि, एक बड़े बदलाव की जरूरत है। हमारी सरकार बालिकाओं को बचाने और बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं, जो अब समाज में परिलक्षित हो रही है ।
प्रज्ञा वत्स ने तीन बातों गरीबी, पितृसत्ता और धारणा पर जोर दिया जो महिलाओं को उनकी संभावनाओं और क्षमता से वंचित करती हैं।
उन्होंने कहा कि लड़कियों के सशक्तिकरण और विकास को प्राप्त करने के लिए देशभर से सहयोग के माध्यम से सामूहिक प्रयास करना महत्वपूर्ण है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में काम कर रहा राष्ट्रीय महिला आयोग अपने कार्यक्रमों और पहलों के साथ लड़कियों के प्रति गहरे भेदभाव को मिटाने के लिए समर्पित रूप से काम कर रहा है और यह चर्चा इस पर जागरूकता बढ़ाने के लिए एक कदम था।
राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरूआत पहली बार 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी। यह भारत की लड़कियों को सहायता और अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है।
इसका उद्देश्य बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना, बालिका शिक्षा के महत्व, उनके स्वास्थ्य और पोषण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
लड़कियों की स्थिति में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कई कदम उठाए हैं। सरकार ने कई अभियान और कार्यक्रम शुरू किए हैं।
बालिका बचाओ, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, सीबीएसई उड़ान योजना, बालिकाओं के लिए मुफ्त या रियायती शिक्षा, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में महिलाओं के लिए आरक्षण आदि।