New Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वक्फ अधिनियम, 1995 और इसके हालिया संशोधनों को चुनौती देने वाली एक दर्जन से अधिक जनहित याचिकाओं (PILs) पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में पहले से ही पांच याचिकाओं पर सुनवाई का आदेश दिया जा चुका है, और अब कोई नई याचिका स्वीकार नहीं की जाएगी।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सलाह दी कि अगर उनके पास कोई नया या अतिरिक्त आधार है, तो वे इंटरवेंशन एप्लिकेशन दाखिल कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
CJI जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि ज्यादातर नई याचिकाएं पहले से दाखिल याचिकाओं की नकल या उनके समान हैं। CJI ने कहा, “हम इस मामले में अब और याचिकाएं नहीं सुनना चाहते।
बार-बार एक जैसी याचिकाएं दाखिल करने से न्यायिक प्रक्रिया में अनावश्यक देरी हो रही है।” कोर्ट ने नई याचिकाओं को खारिज करते हुए मौजूदा पांच याचिकाओं पर सुनवाई को प्राथमिकता देने का फैसला किया।
ये याचिकाएं वक्फ अधिनियम के प्रावधानों, विशेष रूप से हाल में हुए संशोधनों की वैधता को चुनौती दे रही थीं। याचिकाकर्ताओं का दावा था कि ये संशोधन असंवैधानिक हैं और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों का हनन करते हैं।
याचिकाकर्ताओं में कौन-कौन हैं शामिल?
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी
तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ’ब्रायन
जम्मू-कश्मीर की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP)
मुस्लिम एडवोकेट्स एसोसिएशन
ऑल रिलीजियस इफिनिटी मूवमेंट