नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस ने गुरुवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद रक्षामंत्री राजनाथ के बयान के बाद विपक्ष को बोलने का समय न दिए जाने को वॉकआउट का कारण बताया।
टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने कहा, बिपिन रावत की मृत्यु पर 12 निलंबित सांसदों ने अपना धरना रोक दिया। मौन भी रखा लेकिन सरकार ने विपक्ष को अपनी संवेदना व्यक्त करने का समय नहीं दिया। ये तानाशाही है।
गौरतलब है कि 12 निलंबित सांसद पिछले 8 दिन से सदन परिसर में गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठ रहे थे, लेकिन सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद एक दिन के लिए ये धरना स्थगित कर दिया। इसको लेकर सभी विपक्षी दलों के संसदों ने 2 मिनट का मौन व्रत भी रखा।
लगातार विपक्षी दल केंद्र पर आरोप लगाते हुए ये कह रहे हैं कि राज्यसभा में जो अड़चनें पैदा हो रही हैं, उसके लिए सरकार जिम्मेवार है।
सरकार ने नियम को तोड़ते हुए हमारे 12 सदस्यों को निलंबित किया है। निलंबन वापस नहीं लिया तो, विपक्षी दल निलंबित सांसदों के साथ अनशन पर बैठेंगे।
दरअसल पिछले सप्ताह सोमवार यानी 29 नवंबर को शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही राज्यसभा में कांग्रेस, शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस सहित कई अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था।
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, 5 कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन व शांता छेत्री। वहीं शिव सेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।