Mona Agrawal : पैरालिंपिक (Paralympics) में भाग लेने वाले हर एथलीट (Athlete) की अपनी कहानी है। हर कोई उनसे प्रेरणा ले रहा है लेकिन मोना अग्रवाल (Mona Agrawal) की कहानी खेल प्रेमियों को अधिक प्रेरित कर सकती है।
राजस्थान (Rajasthan) के सीकर में जन्म लेने वाली मोना का जीवन संघर्षों भरा रहा है। पोलियो (Polio) की बीमारी के कारण वह बचपन से ही चलने में असमर्थ हो गई थीं।
इसके अलावा उनहें लड़कियों के प्रति पूर्वाग्रह के कारण भी समाज के तानों का सामना करना पड़ा। मोना अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकीं।
पैरा-शूटर (Para Shooter) बनने के लिए वह जयपुर (Jaipur) चली गईं। उनकी दादी ने उन्हें इसके लिए प्रेरित किया।
कौन हैं मोना अग्रवाल?
बचपन से पोलियो ग्रस्त राजस्थान के सीकर की मोना अग्रवाल ने कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लिया। 14 साल पहले घरवालों की शादी करने की जिद के चलते घर छोड़ दिया था।
दो बच्चों की मां 37 वर्षीय मोना के पति पैरा बास्केटबॉल खिलाड़ी एक हादसे का शिकार होने के बाद मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं।
तीन साल पहले (दिसंबर 2021) ही निशानेबाजी शुरू करने वाली मोना ने जीत के बाद कहा जब मैं अभ्यास के लिए जाती थी तो अपने बच्चों को घर पर छोड़ना पड़ता था। इससे मेरा दिल दुखता था।
उन्होने कहा, मैं हर दिन उन्हें Video कॉल करती थी और वे मुझसे कहते थे, मम्मा आप रास्ता भूल गई हो, GPS लगा कर आ जाओ।
मोना ने कहा, खेल में करियर बनाने के लिए 2010 में घर छोड़ दिया था। मुझे 2016 से पहले पता नहीं था कि हम किसी भी खेल में भाग ले सकते हैं। उसके बाद कई खेलों में हाथ आजमाया।
मोना ने 2016 में थ्रो स्पर्धा में राज्य स्तर पर स्वर्ण जीता था। पावरलिफ्टिंग (Powerlifting) में भी पदक जीत चुकी हैं। सिटिंग वालीबॉल में राजस्थान की कप्तान भी रहीं।
2021 में पैरा शूटिंग में आजमाया हाथ
व्हीलचेयर के जरिए चलने वाली मोना ने पैरा एथलेटिक्स की ओर रुख किया। उन्होंने शॉट पुट, डिस्कस, जेवलिन थ्रो और पावरलिफ्टिंग में हाथ आजमाया और राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में पहुंचकर अपनी पहचान बनाई।
हालांकि, उनका शरीर एथलेटिक्स की कठोरता को झेलने में असमर्थ था तब उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए 2021 में पैरा शूटिंग की ओर रुख किया।