नई दिल्ली: भारत के साथ इसी साल मार्च में हुए प्रमुख रक्षा संधि पर हस्ताक्षर के बाद फिलीपींस ने सुपरसोनिक क्रूज ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए बजट जारी कर दिया है।
फिलीपींस ने तट-आधारित, जहाज-रोधी मिसाइल प्रणाली का अधिग्रहण करने के लिए अलग से कोष की स्थापना की है।
इस बजट में रखे गए 414 करोड़ रुपये के लिए फिलीपींस के बजट विभाग ने दो विशेष आवंटन रिलीज ऑर्डर जारी किये हैं। अब इसके बाद ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को निर्यात करने की भारतीय योजना जल्द ही हकीकत में बदल सकती है।
भारत और फिलीपींस ने इसी साल 03 मार्च को प्रमुख रक्षा संधि पर फिलीपींस के सशस्त्र बलों के मुख्यालय कैंप एगुइनल्डो में हस्ताक्षर किए थे।
भारत की ओर से फिलीपींस में भारतीय राजदूत शंभू एस कुमारन ने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते के बाद भारत से भविष्य में सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल सहित रक्षा उपकरणों की सरकार-से-सरकार सौदों के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ।
उस समय फिलीपींस के पास ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए पर्याप्त बजट नहीं था, इसलिए यह सौदा अंतिम रूप नहीं ले सका। अब 10 माह बाद फिलीपींस के बजट विभाग ने भारत से सुपरसोनिक क्रूज ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए प्रारंभिक धन जारी किया है।
फिलीपींस के बजट प्रबंधन विभाग (डीबीएम) ने 29 दिसंबर को दो विशेष आवंटन रिलीज ऑर्डर (एसएआरओ) जारी किये हैं जिसमें एक 1.3 बिलियन (190 करोड़ रुपये) और दूसरा 1.535 बिलियन (224 करोड़ रुपये) का है।
एसएआरओ देश के राष्ट्रीय रक्षा विभाग को सैन्य हार्डवेयर के अनुबंधों को अंतिम रूप देता है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते का कार्यकाल सिर्फ छह महीने बचा है और वे सैन्य हार्डवेयर खरीदने की होड़ में हैं।
भारत ब्रह्मोस मिसाइल की विस्तारित रेंज पर काम कर रहा है, तो फिलीपींस को निर्यात किया जाने वाला ब्रह्मोस मिसाइल का संस्करण 290 किलोमीटर की ‘सामान्य रेंज’ वाला होगा।
इसके साथ ही 28 दिसंबर को मनीला ने फिलीपीन नौसेना के लिए दो कोरवेट बनाने के लिए दक्षिण कोरिया के हुंडई हेवी इंडस्ट्रीज के साथ एक 28 बिलियन अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।
भारत और रूस के बीच संयुक्त उद्यम से विकसित ब्रह्मोस दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो ध्वनि की गति (2.8 मैक) से तीन गुना गति से उड़ती है।
भारत और रूस के सहयोग से विकसित की गई ब्रह्मोस अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है।
ब्रह्मोस मिसाइलों के बारे में भारत और फिलीपींस के बीच वर्षों से बातचीत चल रही थी, लेकिन दिसंबर, 2020 में मनीला ने कोरोना महामारी का हवाला देकर बजट की कमी बताते हुए सौदा लंबित रखा था।
इस पर भारत ने फिलीपींस के सामने 100 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) की पेशकश भी रखी थी।
सुपरसोनिक क्रूज ब्रह्मोस मिसाइलों का तीसरे देशों को निर्यात करने के लिए अगस्त, 2020 में हरी झंडी मिलने के बाद फिलीपींस, वियतनाम, मिस्र और ओमान सहित कई देशों ने ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद में बहुत रुचि दिखाई है।
इसकी बहुत मांग है, क्योंकि इसका इस्तेमाल तटीय रक्षा और जमीनी हमले दोनों के लिए किया जा सकता है।
भारत में रूसी दूतावास में मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबूसकिन ने दिसम्बर, 2020 में कहा था कि इंडो-रूसी संयुक्त उद्यम ‘ब्रह्मोस एयरोस्पेस’ अन्य देशों से पहले फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस का निर्यात शुरू करेगा।
सुपरसोनिक क्रूज ब्रह्मोस मिसाइलों के रूसी-भारतीय डेवलपर ब्रह्मोस के मुख्य महाप्रबंधक प्रवीण पाठक ने भी तीसरे देशों को निर्यात करने की मंजूरी मिलने के बाद कहा था कि कोरोना महामारी खत्म होने के बाद हम दूसरे देशों को ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात कर सकेंगे।