नई दिल्ली: आजादी के 75 साल पूरे होने की खुशी में देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।
इसी के तहत राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय ने कलाकुंभ के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्र बनवाए हैं,
जिन्हें गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर प्रदर्शित किया जाएगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका अवलोकन करेंगे।
इन स्क्रॉल्स को एक ओपन गैलरी की तरह सभी नागरिकों के सामने रखा जाएगा और इसका उद्देश्य लोगों को भारत की समृद्ध विरासत और धरोहर के बारे में प्रेरित करना है।
इसे संस्कृति मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय की ओर से संयुक्त रूप से कराया गया है।
इसमें 500 से अधिक कलाकारों ने मिलकर देश के अलग-अलग हिस्सों से संबंधित स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्र तैयार किए हैं। जिनमें उनकी वीरता और संघर्ष की कहानियों को प्रदर्शित किया गया है।
इन सभी कलाकारों ने मिलकर देश के विभिन्न हिस्सों से संबंधित आजादी के गुमनाम नायकों पर गहन शोध के बाद उनके चित्रों को चित्रित किया।
कलाकारों ने भुवनेश्वर और चंडीगढ़ में 75 मीटर के कुल 10 स्क्रोल कैनवस पर यह चित्र बनाए, जिनकी कुल लंबाई 750 मीटर से भी अधिक है।
10 स्क्रोल्स पर लगभग 750 मीटर की पेंटिंग्स में कलाकारों ने नंदलाल बोस द्वारा बनाए गए रचनात्मक चित्रों को भी समाहित किया है।
देश भर से आए कलाकारों ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्र कैनवस पर चित्रित किए, बल्कि अलग-अलग प्रदेशों की कला और संस्कृति को भी अपने चित्रों में समाहित किया है।
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वैता गणनायक ने कहा कि, मेरा मानना है कि जब यह स्क्रॉल राजपथ पर लगाए जाएंगे तो इनसे लोग आजादी के गुमनाम नायकों के इतिहास के बारे में ज्यादा से ज्यादा जान सकेंगे और उनकी भारत के आधुनिक, स्वदेशी और समकालीन कलाओं के प्रति जिज्ञासा बढ़ेगी।
कलाकुंभ में चित्रित किए गए स्क्रोल में उड़ीसा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, और आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्रों को चित्रित किया गया है,
जिसमें उनकी वीरता और संघर्ष की कहानी को दर्शाया गया। इसके साथ ही कलाकारों ने पटचित्र, तलपात्र चित्र, मंजुसा, और मधुबनी कला का चित्रण किया।
वहीं अन्य स्क्रॉल में लद्दाख, जम्मू, कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के गुमनाम नायकों की वीरता और संघर्ष की कहानियों को दर्शाया गया है।