नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को मामले से जुड़े रिकॉर्ड संरक्षित करने का आदेश दिया है।
चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने पंजाब सरकार और सभी एजेंसियों को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सहयोग करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी को होगी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता लायर्स वायस की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि एसपीजी एक्ट के मुताबिक केंद्र, राज्य और हर सरकारी विभाग को इसके आदेश का पालन करना होगा।
राज्य सरकार ने जो कमेटी बनाई है उसके अध्यक्ष पर भी सवाल हैं। मनिंदर सिंह ने कहा था सारे रिकॉर्ड कोर्ट के संरक्षण में लिए जाएं। बठिंडा के जिला जज या कोई और जज एनआईए के सहयोग से ऐसा करें।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था मैं आभारी हूँ कि कोर्ट ने इस गंभीर मामले का संज्ञान लिया है। यह दुर्लभ मामला है।
उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री को सड़क मार्ग से जाना होता है तो एसपीजी डीजीपी से पूछती है। जब सड़क पर ब्लॉक था तो मंजूरी क्यों दी गई।
एक कार पांच सौ मीटर आगे चलती है। जो पुलिसवाले प्रदर्शनकारियों के साथ चाय पी रहे थे, उन्होंने उस कार को भी सूचना नहीं दी कि पीएम को आगे आने से रोक दीजिए।
मेहता ने कहा कि वहां धार्मिक जगह से फ़्लाईओवर के दूसरी तरफ भी भीड़ जमा करने की घोषणा हो रही थी।
अमेरिका से संचालित एक आतंकी संगठन वीडियो जारी कर रहा है। वहां कुछ ऐसा हो सकता था जो भारत की अंतर्राष्ट्रीय शर्मिंदगी की वजह बनता।
सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के के एडवोकेट जनरल डी एस पटवालिया ने कहा कि हम मामले को गंभीरता से ले रहे हैं।
हमने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की कमेटी बनाई है। पटवालिया ने कहा था कल फिरोजपुर में एफआईआर भी दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि केंद्र ने भी एक कमेटी बनाई है। अगर राज्य की कमेटी पर एतराज है तो सुप्रीम कोर्ट जैसी चाहे कमेटी बना सकता है, हमें आपत्ति नहीं है।
सुनवाई के अंत में चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने सभी वकीलों को सुना। मामला प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ा है।
हम पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को मामले से जुड़े रिकॉर्ड संरक्षित करने का आदेश देते हैं।
पंजाब सरकार और सभी एजेंसी उनसे सहयोग करें। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल चंडीगढ़ के डीजी का सहयोग लें।
एनआईए के भी एक वरिष्ठ अधिकारी भी टीम में हों। फिलहाल राज्य और केंद्र की कमेटी अपना काम रोक दें। हम यह बात आदेश में दर्ज नहीं कर रहे हैं। लेकिन दोनों कमिटियों को यह सूचित कर दिया जाए।