नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) निकट भविष्य में नीतिगत दरों में 100 आधार अंकों तक वृद्धि कर सकता है।
आनंद राठी शेयर और स्टॉक ब्रोकर्स ने एक रिपोर्ट में कहा है हमारे पड़ोसी देशोंे पाकिस्तान और श्रीलंका ने नीतिगत दरों में बढा़ेत्तरी की है।
हम उम्मीद करते हैं कि भारत भी जल्द ही ब्याज दरें बढ़ाना शुरू कर देगा और आरबीआई 2022 में नीति दर को 100 आधार अंक तक बढ़ा सकता है और कम से कम अल्पावधि में, इक्विटी और बॉन्ड दोनों बाजारों पर इसका नकारात्मक प्रभाव हो सकता है ।
खुदरा मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने बढ़कर दिसंबर 2021 के दौरान 5.6 प्रतिशत रही, लेकिन आम धारणा की अपेक्षा से कम थी।
खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2021 में 1.9 प्रतिशत से बढ़कर 4 प्रतिशत हो गई। प्रमुख क्षेत्रों में मुद्रास्फीति में हालांकि बढ़ोत्तरी हुई, लेकिन दिसंबर 2021 में यह थोड़ी नरम होकर छह प्रतिशत हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सकल घरेलृू उत्पाद (जीडीपी) और औद्योगिक विकास दर के अस्थिर होने के बावजूद, बढ़ती मुद्रास्फीति को देखते हुए, आरबीआई निकट भविष्य में 2022 में नीति दर को 100 बीपीएस तक बढ़ाना शुरू कर सकता है।
इसमें कहा गया है कि 100 देशों में से लगभग 40 प्रतिशत ने पहले ही नीतिगत दरों में औसतन 150 बीपीएस ेकी वृद्धि की है।
अधिकांश देशों की तुलना में भारत में मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर है। मुद्रास्फीति एक प्रमुख वैश्विक चिंता बन गई है और मंहगाई दर में बढ़ोत्तरी को देखते हुए केन्द्रीय बैंक कोई कदम उठा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हमने देखा है कि 100 देशों में से लगभग 40 ने 150 बीपीएस के औसत से नीतिगत दरों में वृद्धि की है।
पूर्वी यूरोप और दक्षिण अमेरिका में अब तक दरों में बढ़ोतरी अधिक रही है और एशियाई देशों इंडोनेशिया तथा दक्षिण कोरिया जैसे देशों में दरों में बढ़ोतरी शुरू हो गई है।
पिछले 12 महीनों के निराशाजनक प्रदर्शन और कृषि उपज ेके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में अपेक्षित बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि होने की संभावना है।
ईंधन के क्षेत्र में गिरावट की उम्मीद है और अगले 12 महीनों में मुद्रास्फीति औसतन 5 फीसदी के आसपास रहने की संभावना है।