सुप्रीम कोर्ट का आदेश, POCSO Act के तहत पीड़िता को बयान के लिए बार-बार कोर्ट नहीं बुलाया जाए

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पॉक्सो एक्ट के तहत सेक्सुअल ऑफेंस की पीड़िता को बयान के लिए बार-बार कोर्ट नहीं बुलाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि इस एक्ट का उद्देश्य इससे प्रभावित होगा

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Supreme Court orders under POCSO Act: Supreme Court ने कहा है कि पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत सेक्सुअल ऑफेंस (Sexual Offenses) की पीड़िता को बयान के लिए बार-बार कोर्ट नहीं बुलाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि इस एक्ट का उद्देश्य इससे प्रभावित होगा।

जो बच्चा सेक्सुअल ऑफेंस जैसी घटना के ट्रॉमा से गुजरा है, तब बार-बार उसी घटना के बारे में बयान के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए।

कोर्ट ने आरोपी की उस अर्जी को खारिज किया, जिसमें आरोपी ने पॉक्सो एक्ट की पीड़ित को जिरह के लिए कोर्ट में बुलाए जाने की गुहार लगाई थी।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धुलिया की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि एक बार आरोपी (बचाव पक्ष) को पीड़ित से जिरह के लिए पर्याप्त मौका दिया गया है। मौजूदा मामले में पीड़ित के साथ काफी लंबी जिरह की जा चुकी है और यह जिरह दो बार हो चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत कहा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पॉक्सो एक्ट की धारा-33 (5) के मुताबिक स्पेशल कोर्ट की ड्यूटी है कि वह इस बात को सुनिश्चित करे कि चाइल्ड विक्टिम को कोर्ट के लिए बार-बार ना बुलाया जाए।

यह मामला ओडिशा का है। आरोपी के खिलाफ पॉक्सो का केस दर्ज है। आरोपी के खिलाफ उड़ीसा के नयागढ़ जिले में स्थित स्पेशल कोर्ट में केस चल रहा है। उसके खिलाफ रेप और पॉक्सो से संबंधित धाराओं के तहत मामला पेंडिंग है।

पुलिस के मुताबिक, 30 अगस्त 2020 को याचिकाकर्ता ने पीड़ित लड़की का अपहरण किया। घटना के वक्त लड़की नाबालिग थी। फिर वह पीड़िता को गांव ले गया और आरोपी ने गांव के मंदिर में लड़की से शादी की।

शादी के बाद लड़की को शहर ले गया। करीब 7-8 दिन वह लड़की के साथ रहा, तभी पीड़िता के साथ जबरन संबंध बनाए। बाद में 18 नवंबर 2020 को लड़की को वहां से बचाया गया। इसके बाद उसका मैजिस्ट्रेट के साने बयान दर्ज हुआ और मेडिकल कराया गया।