नयी दिल्ली: बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए घोषित प्रावधानों को लेकर देश के शिक्षाविदों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है।
कुछ शिक्षाविद् शिक्षा के डिजिटलीकरण की दिशा में किये गये प्रयासों को सराहनीय बता रहे हैं तो कुछ शिक्षाविदों का मानना है कि सरकार को शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर में सुधार के लिए और कदम उठाने चाहिए थे।
देश के कुछ नामी शिक्षाविद् एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किये बजट में शिक्षा को दिये गये महत्व की प्रशंसा कर रहे हैं।
उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ई विद्या योजना के तहत घोषित एक क्लास एक टीवी चैनल कार्यक्रम जैसे डिजिटल टूल से मानव संपदा को बढ़ावा मिलेगा।
बजट को शिक्षा क्षेत्र के लिए सकारात्मक बताने वाले शिक्षाविदों के मुताबिक सरकार ने डिजिटल विश्वविद्यालय शुरू करने, विश्वविद्यालयों के बीच समन्वय को बढ़ाने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने और कई कौशल विकास कार्यक्रमों को शुरू कराने की घोषणा करके देश की आबादी का लाभ उठाने की योजना बनायी है, जो प्रगतिवादी दृष्टिकोण है।
केंद्रीय बजट 2022-2023 में स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के लिए 63,449.37 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, जो चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटित की गयी 9,000 करोड़ रुपये की राशि से करीब 6.6 प्रतिशत अधिक है।
यह कौशल को बढ़ाने, दोबारा कुशल बनाने और नयी पीढ़ी के कौशल से दक्ष बनाने जैसे कई कदम उठाकर देश के युवाओं की रोजगार योग्यता बढ़ाने की दिशा में किये गये प्रयास हैं।
इंडियन स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी के संस्थापक एवं सीईओ दिलीप पुरी ने बजट की सराहना करते हुए कहा, हम इस बार बजट में देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए घोषित नयी पहलों का स्वागत करते हैं।
सरकार ने उन क्षेत्रों की पहचान की है कि जिन्हें वित्तीय सहायता और मदद की जरूरत है और साथ ही शिक्षा क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है। डिजिटल विश्वविद्यालय की घोषणा एक प्रगतिशील कदम है, जिसका उद्देश्य देश के सुदूूरवर्ती हिस्सों के प्रत्येक छात्र तक पहुंच बनाना है।
विश्वस्तरीय संस्थानों और शिक्षकों से समन्वय स्थापित करके शिक्षा तक उन छात्रों की पहुंच बनायी जायेगी। हमें आशा है कि इसे आसानी से लागू किया जायेगा और इससे एडुटेक का विकास तीव्र होगा। कौशल क्षेत्र में उठाये गये कदमों से हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में भी रोजगारपरकता बढ़ेगी।
फिक्की एराइज के अध्यक्ष एवं सेठ आनंदराम जयपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष शिशिर जयपुरिया ने कहा, बजट में घोषित प्रावधान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में निहित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के विजन को पूरा करने की दिशा में उठाये गये कदम हैं।
प्रधानमंत्री ई विद्या योजना को 200 टीवी चैनल तक विस्तारित करने और उच्च गुणवत्ता वाले ई कंटेंट को सभी भाषाओं में विकसित करने से कक्षा एक से 12वीं तक के छात्रों को लाभ होगा, जिन्हें कोरोना संकट के कारण स्कूलों के बंद होने से पढ़ाई में परेशानी आयी है।
उन्होंने कहा, डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना से देश के दूर दराज के इलाकों में रहने वाले छात्रों को विभिन्न भारतीय भाषाओं में विश्व स्तर की शिक्षा प्राप्त हो सकेगी।
शिक्षकों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षित करने और गुणवत्तापूर्ण ई कंटेट विकसित करने के लिए उन्हें सशक्त बनाने से बेहतर परिणाम सामने आयेगा। मैं विज्ञान और गणित के 750 ई लैब स्थापित करने और 75 कौशल ई लैब स्थापित करने की घोषणा का स्वागत करता हूं।
जयपुरिया ने कहा,सरकार ने शहरी प्लानिंग और डिजाइन के पाठ्यक्रम को मुहैया कराने वाले पांच संस्थानों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की मान्यता देने का निर्णय लेकर सही कदम उठाया है।
इससे भारत के लिए अनुकूल शहरी विकास के विजन को पूरा करने में मदद मिलेगी। बजट में ई लर्निग को बढ़ाने, शिक्षा की पहुंच बढ़ाने और शिक्षा को समेकित करने की दिशा में कई प्रयास किये गये हैं।
एचएसएनसी यूनिवर्सिटी के प्रोवोस्ट निरंजन हीरानंदानी ने भी बजट में शिक्षा तक सबकी बराबर पहुंच बढ़ाने और पृष्ठभूमि से इतर छात्रों की मानसिकता में विकास के लिए उठाये गये कदमों की प्रशंसा की।
हीरानंदानी ने कहा, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े उद्योग बजट में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए डिजिटल आधारभूत ढांचे के निर्माण और उनके उन्नयन पर ध्यान देकर डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र पर जोर दिये जाने की सराहना करते हैं।
हइ और स्पोक मॉडल का अनुसरण करके डिजिटल विश्वविद्यालयों की स्थापना से ग्रामीण इलाकों के छात्रों के लिए शिक्षा की उपलब्धता बढ़ेगी। क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा तक आसान पहुंच से प्रत्येक छात्र को खुद को सशक्त करने और जानकारी से सुसज्जित करने का अवसर प्राप्त होगा।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा बेहतर ई शिक्षण परिणाम हेतु शिक्षकों को प्रभावी तरीके से शिक्षित करने के लिए गुणवत्तापूर्ण ई कंटेंट तैयार करने का कदम आशाजनक है।
इसके साथ ही व्यक्तिगत शिक्षा के विकल्प में भी बढ़त हुई है, खासकर डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में। बजट में कौशल पर भी विशेष जोर दिया गया है, जो किसी व्यक्ति को रोजगार के योग्य और रोजगार क्षेत्र में टिकाऊ बनाती है।
कौशल आधारित पाठ्यक्रमों से न सिर्फ शिक्षा हासिल करने वालों को तार्किक सोच और रचनात्मकता का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि इससे वे उद्योग जगत के लिए भी तैयार होंगे और यह बेहतर भविष्य के लिए देश के युवाओं को समुचित रूप से तैयार करने का सबूत है।
कौशल आधारित शिक्षा की आवश्यकता को समझते हुए सेठ आनंदराम जयपुरिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सीएफओ विक्रम अग्रवाल ने भी बजट में घोषित प्रावधानों की सराहना की।
अग्रवाल ने कहा, इस बार पेश बजट में सबसे महत्वपूर्ण है , डिजिटल शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाने के लिए उठाये गये कदम।
डिजिटल यूनिवर्सिटी का गठन और सभी भारतीसय भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण ई कंटेंट को बनाने की पहल से शिक्षा सभी के लिए समावेशी बनेगी।
इनके अलावा देश स्टैक ई पोर्टल लांच करने का निर्णय कौशल विकसित करने और कौशल को बेहतर बनाने में मददगार होगा।
उन्होंने कहा, इसके साथ ही सरकार का लक्ष्य आधुनिक कृषि की व्यवहारिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पाठ्यक्रम को संशोधित और बेहतर करके कृषि विश्वविद्यालयों की शिक्षा को बेहतर बनाना है।
मैं मिलिट्री प्लेटफार्म और सैन्य उपकरणों की बेहतर डिजाइनिंग और विकास के लिए रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास में अकादमी क्षेत्र को शामिल करने के फैसले की भी सराहना करता हूं।
इस बजट का दायरा काफी व्यापक है। यह शिक्षा क्षेत्र के कई पहलुओं को छूता है, जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिए।
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े उपरोक्त व्यक्तियों ने जहां सरकार द्वारा बजट में घोषित प्रावधानों की प्रशंसा की है, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सरकार को इस दिशा में और प्रयास करने चाहिए थे।
बजट की ओलाचना करने वालों का मानना है कि गत साल की तुलना में इस साल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कम निवेश किया गया है और पहल भी अपेक्षाकृत कम हैं।
आईआईएम अहमदाबाद में अर्थशास्त्र किे एसोसिएट प्रोफेसर तरूण जैन ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने गत दो साल की शिक्षा हानि के लिए अतिरिक्त टीवी चैनलों के जरिये पूरक शिक्षण का उल्लेख किया है।
यह प्रयास उस हानि को कम करने की दिशा में बहुत ही छोटा है, जो हमारे बच्चों को दो साल के दौरान शिक्षण में हुई है। स्कूल की गुणवत्ता में सुधार के लिए उल्लेखनीय निवेश से ही पूरी आबादी को उसका लाभ मिलेगा। हमें इस वास्तविकता को ध्यान में रखना होगा कि मात्र आठ प्रतिशत ग्रामीण छात्रों और 23 प्रतिशत शहरी छात्रों की पहुंच इंटरनेट तक है।
उन्होंने कहा कि यहां जब छात्रों की पहुंच इंटरनेट तक है, तब भी ऑनलाइन शिक्षा की गुणवत्ता खराब बनी हुई है। उन्होंने कहा, हमें देश के लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप बजट प्रतिबद्धता को करना होगा।
उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा युवाओं की आशाओं का महत्वपूर्ण घटक है और इसमें निवेश से अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक रिटर्न भी प्राप्त होता है। इसीलिए सरकार को सार्वजनिक शिक्षा में निवेश को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।
कुल मिलाकर केंद्र सरकार को डिजिटलीकरण द्वारा संचालित कौशल आधारित शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए अनुकूल प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है।
कौशल को बेहतर बनाने, दोबारा कुशल बनाने, अप्रेंटिसशिप जैसे शॉर्ट टर्म कार्यक्रम और आजीवन शिक्षण के लिए हजारों कौशल केंद्रों और विशेष प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना करके प्रशिक्षण के व्यापक अवसर प्रदान किये गये हैं।
यह बजट सुनिश्चित करता है कि युवाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण पर सरकार का ध्यान बना रहेगा, जिससे देश के विकास और अर्थव्यवस्था में योगदान मिलेगा।