नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आज संसद में पेश किए गए 2022-23 के बजट में मध्यम वर्ग को कोई राहत नहीें दिए जाने से लोगों में निराशा है।
राजधानी के लक्ष्मी नगर में रहने वाले एक मध्यम वर्गीय परिवार का कहना है कि बजट में कुछ भी विशेष नहीं है और न ही इसमें करदाताओं को कोई छूट दी गई है।
मध्यम वर्ग का कहना है कि अधिकांश लोगों में डर था कि केंद्र सरकार प्रत्यक्ष करों में वृद्धि कर सकती है जो अंतत: नहीं हुई है।
इस परिवार का कहना है कि मंगलवार का बजट सामान्य था, लेकिन यह भी कहा कि अगर केंद्र सरकार चाहती तो इसमें बहुत कुछ किया जा सकता था और लोगों को राहत दी जा सकती थी।
गृहिणी सरोज का कहना है कि रसोई गैस, तेल और सब्जियों की कीमतों में कोई कमी नहीं आई है। दाल और अनाज के दाम कम नहीं किए गए हैं इसलिए एक गृहिणी होने के नाते वह इस साल के बजट से संतुष्ट नहीं है।
परिवार के एक वरिष्ठ सदस्य आर.सी.जोशी का कहना है कि वह एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी हैं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए कर स्लैब में कुछ छूट की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन इस साल के बजट में कोई कर छूट नहीं दी गई।
उन्होंने कहा, इस साल के बजट से अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी, लेकिन नई नौकरियां सृजित करने में और कितने साल लगेंगे, इस पर फिलहाल टिप्पणी करना मुश्किल है।
किसी भी एक आयकर स्लैब के लिए कुछ नहीं किया गया है। आदमी के पास पर्याप्त बचत नहीं है, तो वह कुछ भी नही खरीद सकेगा और लोगों की क्रय शक्ति अपने आप कम हो जाएगी।
बजट में 25,000 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण जैसे बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। मैं टिप्पणी नहीं कर सकता कि कब तक आम आदमी इसका लाभ उठाएगा।
केंद्र सरकार ने कोरोना के समय में नौकरी गंवाने वाले या या वेतन में कटौती का सामना करने वाले लोगों के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया है।
इसी परिवार की एक अन्य सदस्य राधिका ने कहा कि मध्यमवर्गीय परिवार की आंगनवाड़ी महिला को टैक्स में छूट देने से कोई फायदा नहीं होगा।
घरों में राशन और रसोई गैस की कीमतों में कमी होनी चाहिए, तभी कुछ राहत मिलेगी। गृहिणियों को मोदी सरकार से बहुत उम्मीदें थीं जो इस बजट से अधूरी लगती हैं।
परिवार की एक अन्य सदस्य पूजा का कहना है कि बजट में कुछ कर राहत की घोषणा की गई है जैसे कपड़े सस्ता होना, जूते जैसी वस्तुओं की कीमतें कम होना लेकिन दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली सब्जियों, किराना आदि की कीमतें सस्ती होने की जरूरत है, तभी इस बजट की सराहना होगी।
इसी परिवार के एक युवक अचिन कहते हैं, बजट में युवाओं के लिए मोबाइल फोन के दाम कम करने से कुछ खास नहीं है. मैं एक स्टेशनरी की दुकान चलाता हूं जहां सब सामान महंगा हो गया है। स्टेशनरी के सामान पर टैक्स बहुत बढ़ गया है, उन्हें कम किया जाना चाहिए था।
केंद्र सरकार को कुछ कर राहत की घोषणा करनी चाहिए थी। मध्यम वर्ग के लिए ज्यादा राहत नहीं दी गई है और केवल निम्न-आय वाले परिवारों के लिए ऋण लेने की क्षमता में बढ़ोत्तरी बढ़ेगी।
चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स कर रही छात्रा दीक्षा का कहना है कि बजट का मकसद सिर्फ आर्थिक और औद्योगिक विकास है। मध्यम वर्ग के लिए वैसे भी कुछ नहीं होता है।
कुछ भी सस्ता या महंगा नहीं हुआ है, यह इस बजट का विशेष लाभ है। करों में वृद्धि नहीं की गई है, हालांकि कपड़े, चप्पल, जूते आदि जैसी वस्तुओं की कीमतें कम हो गई हैं जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है।
ये सभी दैनिक उपयोग की वस्तुएं एक परिवार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह एक औसत बजट है और अगर इसे ठीक से लागू किया जाए, तो इससे आर्थिक विकास हो सकता है। यह बजट अगले 25 वर्षों के लिए अच्छा है