नयी दिल्ली: विज्ञापन करने वालों को भले ही एप्पल और गूगल के ऐप स्टोर में प्राइवेसी चेंज से दिक्कतें हुई हैं
लेकिन इसके बावजूद अगले चार साल में डिजिटल प्रचार का खर्च 407 अरब डॉलर से 85 फीसदी बढ़कर वर्ष 2026 में 753 अरब डॉलर का हो जायेगा।
जूनिपर की सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक गूगल और एप्पल द्वारा प्राइवेसी में बदलाव से प्रभावी विज्ञापन की संभावनायें बाधित हुई हैं लेकिन ऐप में किये जाने वाले विज्ञापन यानी इन ऐप विज्ञापन से डिजिटल विज्ञापन के मद में होने वाला खर्च वर्ष 2022 के 407 अरब डॉलर से बढ़कर वर्ष 2026 में 753 अरब डॉलर का हो जायेगा।
मोबाइल इन ऐप राजस्व वर्ष 2026 तक वैश्विक व्यय का 56 प्रतिशत होगा। उपभोक्ताओं का भरोसा बरकरार रखने की ब्रांडों की कोशिश से इस दौरान मोबाइल इन ऐप विज्ञापन का खर्च 2022 के 201 अरब डॉलर से बढ़कर 2026 में 425 अरब डॉलर हो जायेगा।
इस शोध की लेखिका स्कैरलेट वुडफोर्ड ने कहा, दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा डाटा कलेक्शन के नियमों में हाल में किये गये बदलाव से मोबाइल विज्ञापन पर प्रभाव पड़ा है और इसी कारण कंपनियों को अपने विज्ञापन खर्च को तर्कसंगत बनाने के लिए बेहतर तरीका अपनाना होगा।
एक अनुमान के मुताबिक एप्पल आईओएस के प्राइवेसी चेंज से मेटा (पूर्व में फेसबुक) को वर्ष 2022 में 10 अरब डॉलर का नुकसान होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों को ऑप्ट-इन का अधिकाधिक लाभ लेने के लिए अपने डाटा कलेक्शन, स्टोरेज और यूजेज नियमों को बिल्कुल स्पष्ट करना होगा।
कुकी पॉलिसी को प्रभावित करने वाले डाटा प्रोटेक्शन नियमों के लागू होने और मोबाइल की ओर विज्ञापन व्यय के विभाजित होने के बावजूद डेस्कटॉप विज्ञापन के मामले में व्यय 2022 के 97 अरब डॉलर से बढ़कर 2026 में 142 अरब डॉलर हो जायेगा।
शोधकर्ताओं ने डिजिटल विज्ञापन के लिए वीडियो को मुख्य जरिया चिह्न्ति किया है। उनके मुताबिक वीडियो विज्ञापन का खर्च अगले चार साल में 63 प्रतिशत बढ़ सकता है। टिकटॉक और यूट्यूब शार्टस वीडियो विज्ञापन की मांग बढ़ाये हुये हैं।