नई दिल्ली: कोरोनावायरस के सबसे संक्रामक वेरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ से दुनिया की पहली मौत ब्रिटेन में दर्ज की गई है।
दक्षिण अफ्रीका में 26 नवंबर को पहला ओमिक्रॉन केस पुष्ट होने के 17 दिन के भीतर ही यह दुनिया के 63 देशों में फैल चुका है, लेकिन अभी तक एक भी मौत दर्ज नहीं हुई थी।
अब ब्रिटेन में पहली मौत से हेल्थ एजेंसियों की सतर्कता बढ़ गई है। हालांकि, दुनियाभर के विशेषज्ञों अब भी कह रहे हैं कि ओमिक्रॉन बेहद संक्रामक है, लेकिन घातक नहीं है।
इसलिए 7 हजार ओमिक्रॉन संक्रमितों में से सिर्फ एक मौत से खौफजदा होने की जरूरत नहीं है। हां, यह जरूर है कि इसे फैलने से रोकने के लिए देशों को सख्त कदम उठाने चाहिए।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा- ओमिक्रॉन की वजह से ब्रिटेन के अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए इसे कम खतरनाक समझना भूल साबित हो सकती है।
डेल्टा से कई गुना तेजी से फैल रहा, बन सकता है तीसरी लहर का कारण
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि स्टडी से 3 बातें स्पष्ट हो चुकी हैं। पहली-ओमिक्रॉन डेल्टा से कई गुना तेजी से फैल रहा है। कम समय में 63 देशों में पहुंच चुका है, इसलिए संभव है कि अगली लहर का कारण बने।
दूसरी- ओमिक्रॉन को रोकने में वैक्सीन कम प्रभावी है। या यूं कहें कि ओमिक्रॉन वैक्सीन को चकमा दे रहा है। हालांकि, वैक्सीन लिए लोगों को अगर संक्रमण होता है तो उनमें लक्षण नहीं दिखते या हल्के लक्षण दिख रहे हैं।
उन्हें ऐहतियातन अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है। तीसरी- जिस भी देश में सामुदायिक संक्रमण होगा, उसकी वजह ओमिक्रॉन हो सकता है।
यानी अभी तक दुनिया के जिस भी देश में संक्रमण फैल रहा है, वहां सर्वाधिक मामले डेल्टा वैरिएंट के हैं। जबकि, आने वाले समय में ओमिक्रॉन के हो सकते हैं।