नई दिल्ली: भारत को शिक्षा का ग्लोबल डेस्टिनेशन बनाने के लिए विभिन्न देशों के साथ नई भारतीय शिक्षा नीति साझा की जा रही है।
इस पहल के अंतर्गत अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, मारिशस और कुवैत समेत कई देशों को भारतीय शिक्षा नीति से अवगत कराया जा रहा है।
नई भारतीय शिक्षा नीति को खाड़ी देशों तक पहुंचाने की पहल भी की जा चुकी है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने संयुक्त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री हुसैन बिन इब्राहिम अल हम्मादी को द्विपक्षीय वर्चुअल वार्ता के जरिये शिक्षा नीति के विषय में बताया है।
शिक्षा मंत्रालय के इन प्रयासों के बाद हुसैन बिन इब्राहिम अल हम्मादी ने भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सराहना की है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस विषय में जानकारी देते हुए कहा, इंडियन स्कूल मस्कट इसी कड़ी में एक सशक्त कदम है।
मस्कट में 1975 में केवल 135 छात्रों के साथ शुरू हुआ ये संस्थान, 9200 छात्रों के साथ आज खाड़ी देशों में सबसे बड़ा सह-शैक्षणिक संस्थान है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय नई शिक्षा नीति के अंर्तगत अब भारतीय शिक्षा का ऐसा ही विस्तार खाड़ी समेत अन्य देशों में करने की योजना बना रहा है।
कुवैत में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
इस पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के नए भारत का विजन डॉक्यूमेंट है और 21वीं सदी में पूरे विश्व को भारत से बहुत उम्मीदें हैं और हम टैलेंट और टेक्नोलॉजी के माध्यम से दुनिया को बहुत कुछ दे सकते हैं।
यह नीति भारत को ज्ञान महाशक्ति एवं एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेगी क्योंकि यह अतीत के साथ साथ भविष्य को भी जोड़ती है और यह समग्र एवं बहु-विषयक शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करती है।
नई शिक्षा नीति पर भी विस्तृत विचार विमर्श के लिए निशंक ने अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू से भी मुलाकात की है।
निशंक के मुताबिक भारतीय राजदूत से अमेरिका के अन्य भारतीय वाणिज्य दूतावासों से परामर्श करने को कहा गया।
विभिन्न हितधारकों से यह पता करने का आग्रह किया गया कि भारत में अपने परिसरों को खोलने के लिए अमेरिका के विश्वविद्यालयों की क्या अपेक्षाएं हैं।
इससे स्टडी इन इंडिया योजना के तहत अमेरिकी छात्रों को भारत में आकर्षित करने के तरीकों का पता लगाया जा सकेगा।
वहीं भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा के लिए लंदन में भी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
भारतीय शिक्षा नीति को लेकर इसी सप्ताह लंदन में खास कार्यक्रम आयोजित किया गया।
निशंक भी इसमें आनलाईन शामिल हुए। इंग्लैंड के पूर्व मंत्री जो जॉनसन भी इसका हिस्सा बने।
यहां नई भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आउटरीच पर विस्तार से चर्चा की गई।
भारतीय शिक्षा नीति को वैश्विक स्तर पर ले जाने के विषय पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, इस महामारी के दौरान चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए हम यह नीति लाए हैं।
इस नीति को प्रधानमंत्री से लेकर ग्राम प्रधान तक के सुझावों के बाद लाया गया है।
सभी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक बहुत ही व्यवस्थित और संगठित प्रयास किया गया है।
इससे उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र पुनर्गठन को नए भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सकेगा।
शिक्षा नीति एवं भारतीय भाषाओं के वैश्वीकरण के विषय पर निशंक ने कहा, यह हिंदी के वैश्विक भाषा बनने का प्रतीक भी है।
हिंदी लेखन के विश्व पटल पर मॉरिशस, फीजी, ब्रिटेन और अमेरिका के लेखक तो सक्रिय हैं ही, जिस तरह से इस संग्रह में कनाडा में हिंदी राईटर्स गिल्ड के प्रयासों से वहां रहने वाले हिंदी रचनाकारों ने भारतीय डायसपोरा लेखन को समृद्ध किया है, वह प्रशंसनीय है।