वाराणसी: भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फरैल ने भारत की नई शिक्षा नीति की तारीफ की है।
उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया की महत्वपूर्ण साझेदारियों को और अधिक विकसित करने के लिए नई शिक्षा नीति एक बेहतरीन अवसर है।
उच्चायुक्त मंगलवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का दौरा करने के बाद विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों से रूबरू हुए।
विज्ञान संस्थान के महामना सभागार में शिक्षकों व छात्रों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नीतिगत सुधारात्मक परिवर्तन के लिए किये जा रहे भारत सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया।
उच्चायुक्त ने कहा कि बीएचयू ने आधुनिक भारतीय इतिहास में ऐतिहासिक योगदान दिया है।
उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के लोगों के बीच सम्पर्क व संबंधों का काफी विस्तार हुआ है, जिससे दोनों देशों के संबंधों की दीर्घकालिकता सुनिश्चित हुई है।
ऐसे में विश्वविद्यालय जैसे संस्थान व यहां के छात्र व शिक्षकों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उच्चायुक्त ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरीसन ने इस बात को रेखांकित किया है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंध पारस्परिक समझ, विश्वास, साझा हितों पर हो।
ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने कहा कि दोनों प्रधानमंत्री इस बात पर एकमत हैं कि शिक्षा, शोध व कौशल विकास, भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों का एक महत्वपूर्ण अंग हों।
कोविड-19 महामारी से निपटने एवं टीकाकरण अभियान के लिए भारत सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए उच्चायुक्त ने कहा कि इस महामारी से उबरने की दिशा में भारत अनुकरणीय नेतृत्व दे रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑस्ट्रेलिया चिकित्सा, ऊर्जा, इंजीनियरिंग, बायोसाइंसेज़ जैसे कई क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य कर रहा है।
उच्चायुक्त का गर्मजोशी से स्वागत कर कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के बीच नई साझेदारियां होंगी, जिससे शोध व अनुसंधान में तेजी आयेगी।
कुलपति ने कहा कि अध्यापन, शोध व नवोन्मेष के क्षेत्र में विश्वविद्यालय का योगदान उल्लेखनीय है।
कुलपति के साथ चर्चा
कुलपति प्रो राकेश भटनागर ने आस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओ फरैल का केन्द्रीय कार्यालय में स्वागत किया।
कुलपति एवं ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त के बीच बीएचयू एवं ऑस्ट्रेलिया के संस्थानों के बीच परस्पर सहयोग एवं सम्बन्ध बढ़ाने के क्षेत्रों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान हुआ।
इस दौरान कुलसचिव डॉ नीरज त्रिपाठी, विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो एके त्रिपाठी, पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान के निदेशक प्रो एएस रघुवंशी आदि भी मौजूद रहे।