Lawrence Bishnoi Interview Case: लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामले (lawrence Bishnoi Interview Case) में विशेष जांच दल द्वारा दायर की गई रद्दीकरण रिपोर्ट पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई थी।
इसके कई दिनों के बाद High Court के ही एक खंडपीठ ने निर्देश दिया है कि इस मामले की जांच के लिए एक नई SIT का गठन किया जाना चाहिए।
इस मामले को आपराधिक साजिश, उकसावे, जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत जांच करने के लिए कहा गया है।
न्यायमूर्ति अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और न्यायमूर्ति लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने जोर देकर कहा कि सीआरपीसी की धारा 173 के तहत दायर इस रिपोर्ट को देखने के बाद यही लगता है कि इस मामले में पुलिस अधिकारियों और अपराधी के बीच सांठगांठ है।
पीठ ने कहा, पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता से अपराधी या उसके साथियों से अवैध रिश्वत लेने का संकेत मिलता है। यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध बनता है।
इसलिए मामले की आगे जांच की आवश्यकता है। पीठ ने इसे अपराध मानते हुए कहा कि पुलिस अधिकारियों ने अपराधी को जेल में एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (Electronic Equipment) का उपयोग करने की अनुमति दी।
परिसर के भीतर आयोजित किया गया था यह इंटरव्यू
इंटरव्यू के लिए जेल में एक स्टूडियो जैसी सुविधा प्रदान की। इससे अपराध का महिमामंडन किया जा रहा है। उसके साथियों द्वारा जबरन वसूली सहित अन्य अपराधों को बढ़ावा देने की मकसद से ऐसा किया गया।
बता दें कि इससे पहले DGP ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बयान दिया था कि पंजाब की किसी भी जेल में साक्षात्कार नहीं हुआ था। यह Interview CIA स्टाफ, खरड़, SAS नगर जिले के परिसर के भीतर आयोजित किया गया था। कोर्ट को ऐसा लगता है कि यह पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से आयोजित किया गया था।
अदालत ने DGP द्वारा दिए गए पिछले बयान के लिए भी स्पष्टीकरण मांगा है, जिसमें दावा किया गया था कि जेल में कोई साक्षात्कार नहीं हुआ था।
पीठ ने कहा कि राज्य से यह भी स्पष्ट करने के लिए कहा गया है कि क्या बिश्नोई को वहां रखने के लिए बार-बार रिमांड पर लेना जानबूझकर उसे एक ही स्टेशन पर रखने का प्रयास था या फिर उसे सामान्य रूप से जांच के लिए जरूरी था।