रांची: डेल्फिक काउंसिल ऑफ झारखंड ने रविवार को ऑड्रे हाउस में फोटोग्राफी प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल रमेश बैस उपस्थित थे।
राज्यपाल ने कहा कि झारखंड विभिन्न प्रकार की कलाओं, नृत्य, वाद्ययंत्र, चित्रकारी आदि सरल और सहज हृदय से अभिव्यक्त करने के लिए जाना जाता है। कला के क्षेत्र में यहां की विभिन्न हस्तियां पद्मश्री से भी सम्मानित हो चुकी हैं।
इस प्रदर्शनी के माध्यम से झारखंड के अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य, सामूहिक एवं एकल नृत्य, गीत-संगीत, मनोहर और मनभावन वाद्ययंत्रों, विभिन्न प्रकार की आकृतियों, रीति-रिवाज, उत्सव, पर्व-त्योहारों, प्राकृतिक वातावरण और विहंगम जीवन-शैली आदि को दिखाया है।
उन्होंने कहा कि डेल्फिक गेम्स मानसिक क्षमताओं के संवर्धन, प्रदर्शन और सकारात्मक प्रतिस्पर्धा के प्रति समर्पित है।
विभिन्न तरीकों की मानसिक क्षमता के प्रदर्शन के लिए डेल्फिक खेलों की प्रतिस्पर्धा की परिकल्पना लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व की गयी थी।
कतिपय कारणों से हुए व्यवधान के बाद यह करीब सोलह सौ वर्षों के बाद 1894 में पुनः अस्तित्व में आया और फिर कुछ वर्षों के बाद ही कठिनाइयों के कारण स्थगित हो गया। फिर इसका पुनर्जागरण 1994 में हुआ।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार ओलिंपिया गांव से ओलिंपिक खेलों की शुरुआत हुई, ठीक उसी प्रकार डेल्फी गांव से डेल्फिक खेलों की शुरुआत हुई।
दोनों खेलों के आयोजन में फर्क सिर्फ इतना ही है कि ओलिंपिक में शारीरिक खेलों का आयोजन और प्रतियोगिता होती है, जबकि डेल्फिक में सांस्कृतिक कलाओं जैसे गायन, नृत्य, नाटक, सर्कस, कविता पाठ, चित्रकारी इत्यादि का आयोजन होता है।