लोहरदगा: जिले में गुरुवार को भाकपा माओवादियों के एक दिवसीय बंद का मिलाजुला असर रहा।
बिहार के जंगलों और झारखंड के लोहरदगा-गुमला जिले के जंगलों में पुलिस द्वारा लगातार की गई बमबारी के विरोध में माओवादियों द्वारा बंद का सबसे अधिक असर यात्री वाहनों के परिचालन पर पड़ा।
अंतर जिला के साथ-साथ अंतरराज्यीय यात्री वाहनों का परिचालन नहीं हुआ, जिससे लोगों को यात्रा करने में परेशानी का सामना करना पड़ा।
हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों से प्रखंड व जिला मुख्यालय तक छोटे-छोटे वाहनों का परिचालन सामान्य रूप से होता रहा। यात्री वाहनों का परिचालन नहीं होने से लोहरदगा बस स्टैंड में कई बसों के साथ अन्य वाहन खड़े रहे।
नक्सली बंद के कारण ठप रहा यातायात
नक्सली बंद के कारण न सिर्फ यात्री बस के साथ मालवाहक वाहकों का परिचालन भी ठप रहा। हालांकि लोहददगा-रांची के बीच यात्री रेलगाड़ी का परिचालन आम दिनों की तरह सामान्य रूप से हुआ।
नक्सली बंद का लोहरदगा में परिवहन व्यवस्था पर सबसे अधिक असर नजर आया। लोहरदगा शहर से लेकर गांव तक में बाजार व्यवसाय सामान्य रही।
यात्री वाहनों का परिचालन बंद रहने से यात्री रेल सेवा पर भी अधिक भार पड़ा। नक्सली बंद को लेकर पुलिस-प्रशासन पूरी तरह से सतर्क और सक्रिय रही।
जिले के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार गश्त के अलावे नक्सली गतिविधियों पर पुलिस नजर रखी हुई थी।
क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पुलिस पूरी तरह से तैयार थी। यात्री रेलगाड़ी के परिचालन के दौरान आरपीएफ के जवान भी सक्रिय नजर आए, ताकि रेल यात्रियों को कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
यात्री बस का परिचालन ठप रहने से छोटे वाहनों और टेंपो चालकों को फायदा हुआ है। लोहरदगा शहर से लेकर प्रखंड क्षेत्र के बाजार-व्यवसाय पर नक्सली बंदी का असर नहीं रहा।
सभी दुकानें खुले रहे और आम दिनों की तरह खरीद-बिक्री हुई। लोहरदगा जिले में कुल मिलाकर भाकपा माओवादियों के बंदी का मिलाजुला असर देखने को मिला है।