रामगढ़: झारखंड प्रवास के अंतिम दिन नाबार्ड अध्यक्ष डॉक्टर जीआर चिंतला ने रामगढ़ जिले का दौरा किया।
इस दौरान उन्होंने विकास वित्तीय संस्थान के महत्त्व और ग्रामीण विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाने में राज्य स्थापना के बाद से इसके प्रगतिशील विकास पर प्रकाश डाला।
मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न वर्गों में विभिन्न कृषि, गैर-कृषि पहलों को उत्प्रेरित करने में नाबार्ड की भूमिका पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि राज्य के गठन के बाद से नाबार्ड ने राज्य में ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए कुल 5110 परियोजनाओं के लिए रु.16,290 करोड़ स्वीकृत किया है।
उन्होंने राज्य में आरआईडीएफ कोष के अधिक आवंटन के माध्यम से भौतिक और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की वकालत की।
वित्त वर्ष 21-22 के लिए नाबार्ड 2100 करोड़ रुपये मंजूर करेगा और राज्य सरकार को 1800 करोड़ रुपये देगा।
नाबार्ड अध्यक्ष ने बहु सेवा केंद्र (एमएससी) के रूप में पैक्स की नाबार्ड की योजना के साथ एआईएफ की भारत सरकार की योजना को जोड़कर कृषि विपणन बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर भी जोर दिया।
नाबार्ड इस योजना के तहत सहकारी बैंक को चार फीसदी की दर ऋण उपलब्ध करवाती है तथा भारत सरकार द्वारा तीन फीसदी की ब्याज अनुदान के पश्चात ऋण का प्रभावी दर एक फीसदी होता है।
इसके अलावा नाबार्ड डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड, फिशरीज इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड, राज्यों को ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर सहायता, नाबार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट असिस्टेंस जैसी योजनाओं के माध्यम से मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बढ़ा सकता है।
नाबार्ड ने चालू वित्त वर्ष 21-22 में झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक एवं सूक्ष्म वित्तीय सस्ता को रुपये 1700 करोड़ का पुनर्वित्त प्रदान किया है।
हालांकि, उन्होंने सहकारी समितियों के कमजोर ढांचे पर चिंता व्यक्त की, जो नाबार्ड से सस्ते पुनर्वित्त प्राप्त करने के लिए झारखंड राज्य सहकारी बैंक के लिए बाधा बन गया है।
नाबार्ड अध्यक्ष ने बैंकों को ऋण के लोकतंत्रीकरण के लिए भी सलाह दी और विभिन्न केंद्रीय, राज्य योजनाओं के तहत स्वयं सहायता समूहों, संयुक्त देयता समूहों, किसान उत्पादक संगठनों को अधिक से अधिक ऋण उपलब्ध कराने पर बल दिया।
नाबार्ड कृषक उत्पादक संगठन (एफ़पीओ) को बढ़ावा देने में अग्रणी रहा है और राज्य में कुल 179 एफपीओ को बढ़ावा दिया है।
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि नाबार्ड 18 हजार हेक्टेयर और 30 हजार घरों को कवर करते हुए 40 जलछाजन परियोजना और 49 वाडी के अंतर्गत 32 हजार हेक्टेयर में 32 हजार आदिवासी परिवारों को कवर करते हुए प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में एक बड़ी भूमिका निभा रहा है।
नाबार्ड ने वाडी परियोजना के तहत अब तक 139 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता मंजूर की है।
नाबार्ड अध्यक्ष ने रामगढ़ जिले के पतरातू ब्लॉक में वाडी परियोजना का भी दौरा किया, जिससे 1000 आदिवासी परिवारों को लाभ हुआ और स्नेहलता एफपीओ का भी दौरा किया।
उन्होंने नाबार्ड द्वारा योजनाओं और परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर संतोष व्यक्त किया एवं झारखंड के विकास के लिए राज्य सरकार को अधिक से अधिक सहयोग देने का आश्वासन दिया।