शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने की अधिकारियों के साथ बैठक, पदाधिकारी की लगाई जमकर क्लास, कहा- व्यवस्था जल्द दुरुस्त नहीं हुई तो… सीधे सस्पेंड

News Aroma Media

रांची: झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने बुधवार को राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (डीएससी) के साथ बैठक की।

बैठक के दौरान उन्होंने अधिकारियों से कई सवाल जवाब किये, जिसका अधिकारी संतोषप्रद जवाब नहीं दे सके। इसपर शिक्षा मंत्री ने नाराजगी जतायी।

शिक्षा मंत्री ने राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को एक माह में शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने का निर्देश दिया है।

साथ ही बोकारो, हजारीबाग, रामगढ़, पलामू, बरही, चाईबासा, सहित लातेहार के जिला शिक्षा पदाधिकारियों की जमकर क्लास ली।

शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों द्वारा राज्य सरकार को साढ़े चार सौ करोड़ रुपए वापस कर दिया गया। यह वह पैसा है, जो विद्यार्थियों के बौद्धिक, शारीरिक विकास पर खर्च किए जाने थे।

इसी पर मंत्री ने नाराजगी जतायी है। मंत्री ने प्रत्येक जिला के जिला शिक्षा पदाधिकारी और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से पैसे वापसी के संबंध में सवाल किया, पर उन्हें एक भी सवाल का जवाब नहीं मिल सका।

मंत्री ने कहा कि एक माह बाद होने वाली बैठक में अगर संतोषजनक सवालों के जवाब नहीं मिले, तो संबंधित अधिकारी को सस्पेंड कर दिया जायेगा।

मंत्री ने कहा कि पिछले 22 वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है। इसका मुख्य कारण हमारे कार्य में इच्छाशक्ति की कमी का होना है।

मंत्री ने कहा कि सभी अधिकारी अपने जिलों में शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों, बीआरपी- सीआरपी सहित शिक्षक से बात कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर सकारात्मक कदम बढ़ाएं।

लोहरदगा जिले से एक करोड़ 85 लाख रुपये राज्य सरकार को वापस किया गया। इस पर मंत्री ने जिला शिक्षा पदाधिकारी की जमकर क्लास लगाई।

मंत्री ने कहा कि हमें विधानसभा में जवाब देने पड़ते हैं। क्या विधानसभा के अंदर कोई अधिकारी जवाब देगा कि आखिर सरकार के द्वारा दिए गए प्रश्न क्यों वहां पर किए गए हैं। पैसे वापसी से सरकार की छवि धूमिल होती है और विपक्ष सरकार पर सवाल खड़े करता है।

जो शिक्षक सरकारी नौकरी में रिजेक्ट हो जाते हैं, वैसे शिक्षक प्राइवेट शिक्षक कहलाते हैं

शिक्षा मंत्री ने बताया कि सरकार द्वारा प्रत्येक बच्चे पर राज्य सरकार द्वारा 22 हजार रुपये सालाना खर्च किए जाते हैं। लेकिन बच्चों की गुणवत्ता काफी निम्न रह जाती है।

मंत्री ने कहा कि जो शिक्षक सरकारी नौकरी में रिजेक्ट हो जाते हैं, वैसे शिक्षक प्राइवेट शिक्षक कहलाते हैं। लेकिन अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल की जगह प्राइवेट स्कूल भेजने के प्रति अधिक सजग हैं।

हमें यह मानसिकता बदलनी होगी। अगर राज्य में शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त नहीं हुई, तो राज्य के लगभग 42 हजार स्कूलों को प्राइवेट के हाथों दे दिया जाएगा।

उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए सीमित संसाधनों से अधिक पैसे दिए जाएंगे। शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी समझौता हमारी सरकार नहीं करेगी।

हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर विशेष ध्यान देना है। इसके लिए सरकार कोई भी कदम उठाने को तैयार है।

अगर शिक्षा व्यवस्था जल्द दुरुस्त नहीं हुई तो जिला शिक्षा पदाधिकारी और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को सीधे सस्पेंड कर दिया जाएगा।

मौके पर राज्य के जिला शिक्षा पदाधिकारी और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों ने कहा कि स्कूलों में शिक्षक नहीं होने के कारण शिक्षा व्यवस्था बाधित हो रही है। इस पर मंत्री ने कहा कि शिक्षक नहीं होने का बहाना पुराना हो चुका है कोई नया बहाना खोजिए।