रांची: देश के बहुचर्चित 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले के सबसे बड़े (डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपये के गबन) मुकदमे आरसी-47 ए/96 में सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश सुधांशु कुमार शशि की अदालत ने मंगलवार को फैसला सुनाया।
कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव सहित 75 आरोपितों को चारा घोटाले के पांचवें मामले में दोषी करार दिया।
उनकी सजा पर 21 फरवरी को सुनवाई होगी। साथ ही 34 दोषियों को तीन-तीन साल जेल की सजा सुनाई गई। इस मामले में साक्ष्य के अभाव में 24 लोगों को बरी कर दिया गया।
राजद सुप्रीमो को दोषी करार देते ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। लालू यादव के वकीलों ने उनकी ख़राब सेहत का हवाला देते हुए सीबीआई कोर्ट में आवेदन किया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
इसके बाद उन्हें जेल न भेजकर रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) भेजा गया। लालू कागजाती प्रक्रिया पूरी करने के लिए कोर्ट से होटवार जेल गए।
फिर वहां से उन्हें रिम्स में भर्ती किया गया। वे पेइंग वार्ड के पहले तल्ले पर रूम ए- 11 में वो भर्ती रहेंगे।
रिम्स पहुंचने के बाद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लालू प्रसाद यादव को वार्ड के अंदर शिफ्ट किया गया। वार्ड में शिफ्ट करने के दौरान लालू के हनुमान कहे जाने वाले भोला यादव ने उन्हें सहारा दिया।
34 दोषियों को मिली सजा
-राजनेता ध्रुव भगत को तीन साल की सजा और 75 हजार का जुर्माना
-जगदीश शर्मा को तीन साल की सजा और डेढ़ लाख जुर्माना
-पूर्व आयकर आयुक्त अधीप चंद्र चौधरी को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-प्रोगेसिव सहायक परमेश्वर प्रसाद यादव को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-पूर्व पशुपालन पदाधिकारी डा बृज नंदन शर्मा को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
– डा जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-सुरेन्द्र कुमार को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-डा शशि भूषण वर्मा को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-डा शैलेन्द्र कुमार सिन्हा को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-डा राकेश कुमार सिन्हा को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-डा राजेन्द्र बैठा को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-डा रामाशीष सिंह को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-डा उमाकांत यादव को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-डा रामकिशोर शर्मा को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-पूर्व पशुपालन पदाधिकारी डा रामनाथ राम को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-आपूर्तिकर्ता अशोक कुमार यादव को तीन साल की सजा और 40 हजार का जुर्माना
-मो तौहिद को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-अभय कुमार सिन्हा को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-श्याम नंदन सिंह को तीन साल की सजा और 75 हजार का जुर्माना
-नंदकिशोर प्रसाद को तीन साल की सजा और 75 हजार का जुर्माना
-संदीप मल्लिक को तीन साल की सजा
-सरस्वती चंद्र तीन साल और दो लाख का जुर्माना–सुनील कुमार सिन्हा को तीन साल और दो लाख का जुर्माना
-सुशील कुमार सिन्हा को तीन साल और दो लाख का जुर्माना
-राकेश गांधी उर्फ सुनील गांधी को तीन साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना
-शरद कुमार को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-नयन रंजन को तीन साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना
-सुलेखा देवी को तीन साल की सजा और दो लाख का जुर्माना
-मदन मोहन पाठक को तीन साल की सजा और 25 हजार का जुर्माना
-संजय कुमार तीन साल की सजा और 20 हजार का जुर्माना
– मंजू बाला जयसवाल को तीन साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना
-रविन्द्र प्रसाद को तीन की सजा और 50 हजार की जुर्माना
-रामनंदन सिंह को तीन साल की सजा और डेढ़ लाख का जुर्माना
-राजन मेहता को तीन साल और डेढ़ लाख का जुर्माना
24 हुए बरी
एनुल हक, राजेन्द्र पांडेय, साकेत बिहारी लाल, दीना नाथ सहाय, राम सेवक साहू, सनाउल हक, मो इकराम, मो हुसैन, सैरुनिशा, कलशमणि कश्यप, बलदेव साहू, रंजीत सिन्हा, अनिल कुमार सिन्हा, निर्मल प्रसाद, कुमारी अनिता प्रसाद, रामावतार शर्मा, चंचला सिन्हा, रवीन्द्र प्रसाद, रामा शंकर सिंह, बसंत कुमार सिन्हा, सुनील कुमार श्रीवास्तव, प्रांति सिंह, हरिश खन्ना और मधु मेहता को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
41 दोषियों की सजा पर फैसला 21 को
लालू प्रसाद यादव, डॉ. आरके राणा, बेग जूलियस, नित्यानंद कुमार सिंह, महेन्द्र प्रसाद, दवेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव, डॉ. राधा रमण सहाय, डॉ. कृष्ण मोहन प्रसाद, डॉ. जुनूल भेंगराज, डॉ. गौरी शंकर प्रसाद, डॉ. राम प्रकाश राम, डॉ. जसबंत सहाय, डॉ. रवीन्द्र कुमार सिंह, डॉ. प्रभात कुमार सिन्हा, डॉ. ललितेश्वर प्रसाद यादव, डॉ. कृष्ण बिहारी लाल, डॉ. अजित कुमार सिन्हा, डॉ. चंदेर किशोर सिंह,7 बिरसा उरांव, डॉ. शिवनंदन प्रसाद, डॉ. अर्जुन शर्मा, डॉ. मुकेश कुमार श्रीवास्तव, डॉ. बृजनंदन प्रसाद शर्मा, डॉ. नलिन रंजन प्रसाद सिन्हा, डॉ. कमल किशोर शरण, रवि नंदन कुमार सिन्हा, मो सईद, जगमोहन लाल ककड़, महिन्द्र सिंह बेदी, दयानंद प्रसाद कश्यप, सुरेश कुमार दूबे, उमेश कुमार दुबे, सत्येन्द्र कुमार मेहरा, राजेश मेहरा, डॉ. बिजयेश्वरी प्रसाद सिन्हा, त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, डॉ. अजित वर्मा, रवि कुमार मेहरा, महेन्द्र कुमार कुंदन, राजेन्द्र कुमार हरित सहित अन्य की सजा पर 21 फरवरी को फैसला होगा।
55 आरोपितों की हो चुकी है मौत
वर्ष 1996 में दर्ज हुए इस मामले में शुरुआत में कुल 170 लोग आरोपित थे। इनमें से 55 आरोपितों की मौत हो चुकी है, जबकि सात आरोपितों को सीबीआई ने सरकारी गवाह बना लिया। दो आरोपितों ने अदालत का फैसला आने के पहले ही अपना दोष स्वीकार कर लिया।
575 गवाहों ने खोली चारा घोटाले की एक-एक परत
छह आरोपित अभी तक फरार हैं। बाकी 99 आरोपितों पर फैसला कोर्ट ने सुनाया है। इस मामले के अन्य प्रमुख अभियुक्तों में पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, डॉ आरके राणा, बिहार के तत्कालीन पशुपालन सचिव बेक जूलियस और पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक के.एम. प्रसाद शामिल हैं। इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में अभियोजन की ओर से कुल 575 लोगों की गवाही कराई गई, जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 25 गवाह पेश किये गये।
विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह के मुताबिक़ इस मामले में सीबीआई ने 575 गवाह और 15 ट्रंक सबूत अदालत में पेश किए थे। बचाव पक्ष से सिर्फ़ 25 लोगों ने गवाही दी। नब्बे के दशक के चर्चित करोड़ों रुपये के पशुपालन घोटाले में सीबीआई ने तब कुल 66 मामले दर्ज किए थे।
आरसी 47-ए/96 यहां चल रहा पांचवा और अंतिम मामला था। इसमें साल 1990-91 और 1995-96 के बीच फ़र्ज़ी बिल्स पर अवैध निकासी के आरोप हैं। पैसों की निकासी के लिहाज़ से भी यह सबसे बड़ी निकासी का मामला है। इसमें लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ़ आइपीसी की धारा 120-बी और भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून-1998 की धाराओं 13(2) आर डब्ल्यू 13(1) (सी), (डी) के अंतर्गत आरोप तय किए गए थे।
उनपर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया, जबकि कई विधायकों और सांसदों ने क्रमशः विधान परिषद और लोकसभा में यह मामला उठाते हुए कहा था कि पशुपालन विभाग में गड़बड़ियां की जा रही हैं और फ़र्ज़ी बिल्स के ज़रिए अवैध निकासी करायी जा रही है।
चारा घोटाला में लालू प्रसाद यादव से जुड़े झारखंड में कुल पांच मामले हैं। इनमें से चार मामलों में उन्हें सजा मिल चुकी है।
लालू को पहले ही चाईबासा के दो मामले, देवघर और दुमका से जुड़े चारा घोटाले में झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। मंगलवार को पांचवें मामले में भी दोषी करार दिए गए।
कैसे हुई पहली रिपोर्ट
साल 1996 में घोटाले के पर्दाफ़ाश के बाद तत्कालीन बिहार के डोरंडा थाना में 17 फ़रवरी को इसकी एफ़आइआर (नंबर 60/96) दर्ज करायी गयी थी। उसी साल 11 मार्च को पटना हाई कोर्ट ने इसकी सीबीआई जांच का आदेश दिया। इसके बाद सीबीआई ने आठ मई 2001 को 102 आरोपितों के ख़िलाफ़ पहली चार्जशीट दायर की।
फिर जून 2003 में 68 दूसरे आरोपियों पर भी चार्जशीट की गई। 26 सितंबर 2005 को कोर्ट ने कुल 170 अभियुक्तों के ऊपर आरोप तय किया था।
इनमें से 55 अभियुक्तों की मौत ट्रायल के दौरान ही हो गई। आठ दूसरे अभियुक्त सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता 1973) के प्रावधानों के मुताबिक़ सरकारी गवाह (अप्रूवर्स) बन गए। दो अभियुक्तों ने पहले ही दोष स्वीकार कर लिया था।
छह अभियुक्तों का पता नहीं लगा सकी सीबीआई
इस केस की सबसे दिलचस्प बात यह है कि सीबीआई इसके आरोपी छह लोगों का पिछले 25 सालों की लंबी जांच और क़ानूनी प्रक्रिया के दौरान पता ही नहीं लगा सकी। वे कोर्ट में फ़रार बताए गए हैं। सीबीआई के वकील बीएमपी सिंह ने मीडिया से बात करते हुए यह बात स्वीकार की।
ऐसे चला घटनाक्रम
-वर्ष 1996 में उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों में छापेमारी की। उन्हें ऐसे दस्तावेज मिले जिसमें चारा आपूर्ति के नाम पर अस्तित्वहीन कंपनियों द्वारा धन की हेराफेरी का पता चला। इसके बाद चारा घोटाला सामने आया।
-11 मार्च, 1996 को पटना हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इस घोटाले की जांच का आदेश दिया।
-सीबीआई ने 27 मार्च, 1996 को चाईबासा खजाना मामले में प्राथमिकी दर्ज की।
-23 जून, 1997 को सीबीआई ने आरोप पत्र दायर किया और लालू यादव को आरोपित बनाया।
-लालू यादव ने 30 जुलाई, 1997 को सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण किया। अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रदेव प्रसाद वर्मा भी थे।
-जगन्नाथ मिश्रा को अग्रिम जमानत मिल गई लेकिन लालू की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई।
-लालू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया।
-05 अप्रैल, 2000 को विशेष सीबीआई अदालत में आरोप तय किया।
-फरवरी, 2002 में रांची की विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई शुरू हुई।
-13 अगस्त, 2013 को हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के न्यायाधीश के स्थानांतरण की लालू प्रसाद की मांग खारिज की।
-30 सितंबर, 2013 को बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र और 45 अन्य को सीबीआई न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने दोषी ठहराया।
-सीबीआई अदालत ने तीन अक्टूबर, 2013 को लालू यादव को पांच साल के जेल की सजा सुनाई। उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
-लालू यादव को रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद किया गया । उन्हें दिसंबर में जमानत मिल गई।
-आठ मई, 2017 को चारा घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की दलील मान ली। कोर्ट ने कहा कि हर केस में अलग-अलग ट्रायल होगा।
क्या है चारा घोटाला
यह सारा मामला बिहार सरकार के ख़जाने से गलत ढंग से पैसे निकालने का है। कई वर्षों में करोड़ों की रकम पशुपालन विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों ने राजनेताओं की मिलीभगत से निकाली गई।
शुरुआत छोटे-मोटे मामलों से हुई लेकिन बात बढ़ते-बढ़ते तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव तक जा पहुंची। मामला एक-दो करोड़ रुपये से शुरू होकर अब 950 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है।