रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा झामुमो (झामुमो) के पूर्व सिल्ली विधायक अमित महतो और उनकी पत्नी सीमा महतो ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
इस संबंध में दोनों ने रविवार को पार्टी सुप्रीमो सह सांसद शिबू सोरेन को इस्तीफा भेज दिया है।
शिबू सोरेन को भेजे गए इस्तीफा में उन्होंने लिखा है कि किसी भी राज्य की मूल भाषा वहां के रैयतों के द्वारा बोली जाने वाली मातृभाषा होती है।
झारखण्ड में झारखण्ड के बाहर की भाषा भोजपुरी, मगही, अंगिका, ऊर्दू, बंगला, उड़िया को क्षेत्रीय भाषा के रूप में संवैधानिक दर्जा देने के फलस्वरूप यहां के मूल-रैयतों की मातृभाषा विलुप्त और हाशिए पर जाना शत प्रतिशत तय हो गया है।
इस नियमावली के आधार पर प्रवासियों को झारखण्ड में तुष्टिकरण के तहत आमंत्रित कर तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय नौकरियों में प्राथमिकता के साथ अवसर देकर प्रोत्साहित करना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है।
आज के परिपेक्ष्य में झारखण्ड एवं झारखण्डियों का उत्थान के साथ सर्वागीण विकास अवरुद्ध हो गया है। क्योंकि भाषायी अतिक्रमण को प्रोत्साहित कर नियोजन नीति में पूरे देश के अभ्यर्थियों के लिए तुष्टिकरण के तहत झारखण्ड में किसी भी तिथि में आकर दसवी, बारहवीं उत्तीर्ण करने वालों के लिए द्वार खोलने से मूल रैयत झारखण्डियों की भावना के विपरित हक अधिकार से वंचित होना सुनिश्चित हो चुका है।
उन्होंने कहा कि सरकार गठन के बाद आम झारखण्डी की तरह मुझे भी बहुत उम्मीद थी की यथाशीघ्र पार्टी के चुनावी प्रतिज्ञा पत्र के अनुरूप झारखंडियत का बोध कराते हुए बहुप्रतिक्षित माटी हित में स्थानीय नीति लागू होगा, जिससे झारखण्ड के मेधावी, होनहार युवाओं को अपने ही माटी में झारखंडियत की पहचान के साथ झारखण्ड को गढ़ने का शत प्रतिशत अवसर प्राप्त होता।
लेकिन बगैर स्थानीय नीति तय किए झारखण्ड से दसवीं-चावी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को तृतीय-चतुर्थ वर्गीय पदों में अवसर देकर पूरे देश के विद्यार्थियों को प्रवासी तुष्टिकरण के तहत झारखण्ड में समाहित करने वाले नीति से योग्य मुल-झारखंडियों का हकमारी से आहत हूं।
वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा पार्टी संविधान और मूल झारखंडियों के जन आकांक्षाओं के विपरीत जाकर राज्य के महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों, निगमों, खेल संघो और आयोग में गैर-झारखंडियों को स्थापित किया जा रहा है जबकि झारखंडी भाईयों और बहनों में विद्वत्ता एवं अहर्त्ता की कमी नहीं है, जो अलग झारखण्ड राज्य के आन्दोलनकारी शहीदों के सपनों पर कुठाराघात है।
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में वर्ष 2019 में झारखण्डी सरकार गठन के बाद सरकार, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व एवं हर स्तर पर झारखण्डी हित में खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति परिभाषित करने को लेकरमुखरता से लगातार आग्रह करता रहा हूं लेकिन सरकार गठन के दो वर्ष बीतने के बावजूद अब तक झारखण्डी हित में खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति परिभाषित नहीं होने से आहत होकर मैने सरकार से 20 जनवरी 2022 को सोशल मीडिया के माध्यम से श्रद्धेय गुरुजी की भावना, पार्टी संविधान एवं झारखंडियों की मूल भावना एवं राज्य के नवनिर्माण के उद्देश्य से खतियान आधारित स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति परिभाषित 20 फरवरी 2022 तक करने का आग्रह किया था।
इस विषय पर सरकार ने अब तक गंभीरता से कोई ठोस पहल नहीं किया, जिससे मैं आहत हूं और मैं झारखण्डी मूल भावना से समझौता नहीं करते हुए अपने घोषणा पर अडिग रहते झामुमो के सभी संवैधानिक पदों सहित प्राथमिक सदस्यता एवं दायित्वों से इस्तीफा देता हूं।