रांची: झारखंड विधानसभा बजट सत्र के छठे दिन सोमवार को विपक्ष के हंगामे के बीच सोमवार को कृषि विभाग का वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 3130 करोड़ रुपये की अनुदान मांग को पारित किया गया।
बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि दो वर्षों में राज्य के तीन लाख 80 हजार 150 किसानों का 50 हजार रुपये का कृषि ऋण माफ किया गया है। उन्होंने कहा कि इस मद में 1516 करोड़ रुपये ट्रांसफर किया गया है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार किसानों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल नहीं किया। हमने जो वादा किया है उस पर काम कर रहे हैं।
यही वजह है कि आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कृषि सेक्टर में 26 प्रतिशत का वृद्धि हुआ है। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बीमा कंपनियों की मनमानी के कारण बंद किया गया।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए राज्य सरकार ने 565 करोड़ का प्रीमियम भुगतान किया।
जबकि बीमा कंपनी ने मात्र 90 करोड़ रुपये का बीमा का भुगतान किसानों को किया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में किसानों की संख्या 35-38 लाख बताया गया था जबकि राज्य में किसानों की संख्या 58 लाख है।
सरकार सभी किसानों को क्रेडिट कार्ड दे रही है। बैंकों को रेसियो बढ़ाने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार में गाय वितरण में भी गड़बड़ी हुई।
देवघर जिले के सारठ प्रखंड में ज्यादा गाय का वितरण किया गया। जांच कराया तो पता चला कि खूंटा में गाय नहीं है।
मुख्यमंत्री पशुधन योजना को धरातल पर उतारने में समस्याएं आ रही हैं क्योंकि योजना का आकार बड़ा है। हम इस योजना को पूरा करेंगे और सरकार इस दिशा में काम कर रही है।
मुख्यमंत्री से विमर्श कर इस योजना पर तेजी से काम किया जा रहा है। सरकार के सामने चुनौती है और हम उस चुनौती का सामना करते हुए किसानों के हित में काम करेंगे।
अब भी किसानों की ऋण माफी योजना जारी है और इसके लिए 926 करोड़ रुपये का प्रावधान वर्तमान बजट में है। स्मार्ट विलेज देश के लिए रोल मॉडल होगा।
बीज वितरण का बजट 60 करोड़ किया गया है। इससे पूर्व भाजपा विधायक कृषि मंत्री के जवाब से अंसतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन कर गये। अनुदान मांग पारित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने सदन की कार्यवाही मंगलवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।