रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को भोजनावकाश के बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने पदाधिकारी दीर्घा में अधिकारियों की अनुपस्थिति का मामला उठाया।
बिरंची नारायण ने कहा कि सदन में आज मूल बजट पर चर्चा हो रही है और अधिकारी दीर्घा में न तो मुख्य सचिव हैं ना डीजीपी हैं और न ही विभागीय सचिव।
यह गलत परंपरा है। अधिकारियों पर नकेल कसा जाय। इस पर कांग्रेस के प्रदीप यादव ने कहा कि इसमें सुधार की गुंजाइश हो।
सरकार इसे हलके ढंग में ले, यह ठीक नहीं है। सभी अधिकारी, तमाम सचिव को सदन में उपस्थित होना चाहिए। आसन इसको निर्देशित करें।
भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कहा कि आसन इतना कमजोर क्यों है समझ नहीं आ रहा। जबतक अधिकारी दीर्घा में नहीं आते हैं तबतक सदन की कार्यवाही को रोक दिया जाए।
विधायकों के उठाये मांग को लेकर स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने संसदीय कार्य मंत्री को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि अधिकारी सदन में बजट चर्चा में उपस्थित रहें।
इसके बाद बजट 2022-23 के चर्चा के दौरान झामुमो विधायक लोबिन हेब्रम ने सदन में नियोजन नीति, भाषा मुद्दा को प्रमुखता से उठाया।
उन्होंने कहा कि राज्य की मूलवासी- आदिवासी अब जाग गये हैं। झारखंड गर्म होने जा रहा है। अब तीर चलेगा। हेब्रम ने कहा कि राज्य में सीएनटी और एसपीटी एक्ट का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है।
जरूरी है कि एक्ट का पालन हो। उन्होंने हेमंत सरकार से पूछा कि राज्य में स्थानीय नीति कब बनेगा। साथ ही मांग की कि रघुवर सरकार के बनाए स्थानीय नीति को रद्द करें और नयी स्थानीय नीति बनायें।