रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को सदन में माले विधायक विनोद सिंह ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में छह जिलों की पोषण सखियों के 11 महीने के बकाया मानदेय के भुगतान का मामला उठाया।
इस पर जवाब देते हुए विभागीय मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि कुपोषण झारखंड का बड़ा मुद्दा है। यह सिर्फ छह जिले का मामला नहीं है।
अभी कार्यरत पोषण सखियों के 11 महीने के बकाया मानदेय के भुगतान के लिए अनुपूरक बजट में 38 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सरकार पूरे राज्य का अध्ययन कर पोषण सखी मामले पर समेकित निर्णय लेगी।
उन्होंने कहा कि सखियों का मानदेय बंद कर दिया है। झारखंड सरकार इस आशा के साथ मानदेय दे रही है कि भारत सरकार इसके लिए राशि देगी।
अन्य राज्यों में भी भारत सरकार ने बन्द कर दिया है। सरकार छह जिले नहीं बल्कि पूरे राज्य को इस मामले में क्लब करना चाहती है।
क्योंकि राज्य में अभी भी कुपोषण है। इस मामले पर मुख्यमंत्री से विचार कर समेकित निर्णय लेंगे। इससे पूर्व बिनोद सिंह ने कहा था कि यह दुर्भाग्य की बात है कि झारखंड में 29 हजार बच्चे अपना पहला जन्मदिन नहीं देख पा रहे हैं।
कुपोषण के मामले में 116 देशों की सूचि में भारत 101 स्थान पर है। पोषण सखियों को 11 महीने के बकाया मानदेय का भुगतान करते हुए कंटिन्यू किया जाय।
सरकार ने जो लिखित जवाब दिया है उसमें यह शंका सामने आ रही है कि अभी 11 महीने के बकाये का भुगतान तो हो जाएगा लेकिन उन्हें कंटिन्यू नहीं किया जाएगा।
उन्होंने मंत्री के जवाब के बाद कहा कि आप पूरे राज्य में कुपोषण के खिलाफ अभियान चलाइये, इसका स्वागत है लेकिन जिन छह जिलों में यह अभियान चल रहा है उसे बंद नहीं किया जाय।
वहीं दूसरी ओर विधायक सरयू राय ने कहा कि यह जनहित के मामले है। सरकार के बजट में कई रियायत दी गयी है। पोषण सखी का मामला अत्यंत आवश्यक है।
मुख्यमंत्री तथा मंत्री बात कर इन मामले पर जल्द निर्णय लें। इस दौरान विधायक सुदेश महतो, प्रदीप यादव और दीपिका पांडेय सिंह ने भी सरकार से इसे जारी रखने की मांग की।