रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दसवें दिन शुक्रवार को सदन में महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुदान मांग पर कटौती प्रस्ताव रखते हुए भाजपा विधायक नीरा यादव ने कहा कि राज्य का यह दुर्भाग्य है कि झारखंड में 26 महीने से महिला आयोग खाली है।
यहां ना तो अध्यक्ष हैं और न ही सदस्य। यही हाल बाल संरक्षण आयोग का भी है। उन्होंने कहा कि 26 महीने में राज्य में महिला उत्पीड़न की घटना बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि आज महिला उत्पीड़न के मामले में झारखंड देश में सबसे अव्वल है। छात्राओं को केजी से लेकर पीजी तक मुफ्त शिक्षा देने का वादा पूरा नहीं हुआ।
इतना ही नहीं पूर्व की सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए जो योजना शुरू की थी उसे भी बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार ने एक रुपये में महिलाओं के नाम पर 50 लाख रुपये की संपत्ति की रजिस्ट्री की व्यवस्था की थी, इसे सरकार ने बंद कर दिया।
उन्होंने कहा कि 2017 में केंद्र सरकार से पोषण सखियों के मानदेय का भुगतान बंद कर दिया था। उन्होंने कहा था कि राज्य अपने मद से पोषण सखियों को मानदेय दे।
पूर्व की सरकार ने 2019 तक अपने मद से मानदेय दिया लेकिन जब से यह सरकार आयी है पोषण सखियों को मानदेय नहीं मिल रहा है। अब तो उन्हें हटाने की बात हो रही है।
सरकार बताए कि क्या पोषण सखी का काम कर रही महिलाएं स्थानीय नहीं हैं, मूलवासी-आदिवासी नहीं हैं।