नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी ने 22 मार्च, 2022 को बम हमले में टीएमसी नेता के मारे जाने के बाद, पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट क्षेत्र के बोगतुई गांव में महिलाओं और बच्चों सहित 8 लोगों को कथित तौर पर जलाकर मारने के मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है।
आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर इस मामले में चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है, जिसमें मामले में दर्ज प्राथमिकी की स्थिति, गांव में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम और राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई कोई राहत या पुनर्वास शामिल है।
नोटिस जारी करते हुए आयोग ने यह भी कहा कि मीडिया रिपोटरें की सामग्री के आधार पर, नफरत के कारण घटित हिंसा की घटना इंगित करती है कि क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है।
आयोग ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा है कि, रामपुरहाट सरकारी अस्पताल, जहां शवों को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया, के डॉक्टरों ने कहा कि शवों की स्थिति ने उनके काम को बहुत मुश्किल बना दिया।
आगे यह भी कहा गया कि रक्त की उपस्थिति से पता चला कि पीड़ितों पर पहले शारीरिक हमला किया गया और फिर घरों में आग लगा दी गई।
हालांकि बंगाल सरकार ने बीरभूम हिंसा की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया है। लेकिन राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
वहीं इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मृतक के परिवार को 5 लाख, जिनके घर जले हैं उन्हें एक लाख रुपए और घर चलाने के लिए 10 लोगों को नौकरी देने का आश्वासन दिया है।