Shardiya Navratri 2023, Last Day : 22 अक्टूबर यानी सोमवार को शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) का नव दिन यानी अंतिम दिन है। आज मां जगदंबे (Maa Jagdambe) की सिद्धिदात्री रूप की पूजा और उपासना हो रही है।
हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार, मां का यह रूप सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा-अर्चना से सभी तरह की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। लौकिक-परलौकिक सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है।
जान लीजिए कि हिमाचल का नंदा पर्वत माता सिद्धिदात्री का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि जिस प्रकार इस देवी की कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति हुईं, उसी तरह इनकी उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नौ निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी रूप
मां सिद्धिदात्री का रूप परम दिव्य है। मां का वाहन सिंह है और देवी कमल पर भी आसीन होती हैं। इनकी चार भुजाएं हैं, दाहिने ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा और बायीं ओर के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है। मां सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का भी स्वरूप माना गया है।
इस प्रकार करें मां सिद्धिदात्री की पूजा
सर्वप्रथम कलश की पूजा (Kalash Puja) व उसमें स्थित सभी देवी-देवताओ का ध्यान करना चाहिए। रोली, मोली, कुमकुम, पुष्प चुनरी आदि से मां की भक्ति पूजा करें। हलुआ, पूरी, खीर, चने, नारियल से माता को भोग लगाएं।
इसके पश्चात माता के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन नौ कन्याओं और एक बालक (Nine Girls and One Boy) को घर में भोजन करना चाहिए।
इस मंत्र का करें उच्चारण
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदात्री सिद्धिदायिनी।।