नई दिल्ली: भारतीय शिक्षण मंडल एवं नीति आयोग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित शैक्षणिक नेतृत्व विषय पर एक वेबगोष्ठी आयोजित की गई। शिक्षा को लेकर दिल्ली में आयोजित इस वेबगोष्ठी में नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार भी शामिल हुए।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को क्रियान्वित करने के लिए एक जनान्दोलन की जरूरत है।
जो बिना शिक्षकों की सक्रीय भागीदारी के सम्भव नहीं है। किसी भी समाज के निर्माण में शिक्षक की अहम भूमिका होती है, क्योंकि शिक्षक ही समाज को सही दिशा देने की क्षमता रखता है।
अपनी सृजनात्मक क्षमता के जरिये वह न सिर्फ समाज में क्रान्तिकारी बदलाव ला सकता है, अपितु नवाचारों को स्थापित करके नये शैक्षिक वातावरण का निर्माण भी कर सकता है।
उन्होंने भारतीय बौद्धिक सम्पदा को रोकने एवं उन्हें वापस लाने पर बल देते हुए कहा कि भारतीय शिक्षा नीति न सिर्फ शैक्षणिक बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होगी अपितु विश्व में प्राचीन भारतीय शिक्षण गौरव को स्थापित करने में भी महती भूमिका का निर्वहन करेगी।
इस अवसर पर डॉ. कुमार ने भारतीय शिक्षण मंडल की सराहना करते हुए कहा कि, शिक्षक को समाज में गौरव दिलाने में यह संगठन निरन्तर प्रयत्नशील है, साथ ही मंडल द्वारा भविष्य की कार्य योजनाओं के क्रियान्यवन में सहयोग की बात को भी रेखांकित किया।
वेब-गोष्ठी के दौरान भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल कानिटकर ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल नीति आयोग के साथ मिलकर एक ऐसे शैक्षिक परिवेश के निर्माण में लगा है।
इसके मूल में भारतीय संस्कृति है, जिसमें भारतीयता का बोध निहित है।
उन्होंने इस सन्दर्भ में पूर्व में की गई गोष्ठियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सफल बनाने में शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।
शिक्षक अपनी रचनात्मकता एवं सृजन क्षमता से नये भारत के निर्माण में सर्वाधिक योगदान देने की क्षमता रखता है।
उन्होंने समाधान मूलक शिक्षण व्यवस्था पर बल देते हुए कहा कि शिक्षक किसी भी समस्या का समाधान निकाल सकता है, समस्या के पीछे भले ही अनगिनत कारण हो सकते हैं, परन्तु उस समस्या का निवारण शिक्षक ही कर सकता है।
वेब-गोष्ठी के द्वितीय सत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्यवन में शिक्षकों की भूमिका पर कुलपतियों ने वैचारिक मंथन किया।
इस दौरान नई शिक्षा व्यवस्था के लिए दर्जनों सुझाव प्राप्त हुए जिसमें शिक्षकों का उन्मुखीकरण, ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों को तकनीकी से जोड़ने, भारतीय भाषा को समृद्ध करने वाले शिक्षकों को प्रोत्साहित करने एवं भारतीय भाषाओं में लेखन एवं शोध को बढ़ावा देने इत्यादि बिन्दुओं पर गम्भीर रूप से चर्चा की गई।
इस दौरान विषय विशेषज्ञों का कहना था कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से भारतीयता को पहचान मिलेगी एवं दुनिया एक बार फिर से भारतीय दृष्टिकोण से परिचित हो पायेगी।
इस नीति को परिवर्तन की आधारशिला मानते हुए सभी ने इसके प्रभावी क्रियान्यवन पर बल दिया।