NITI Aayog : आदिवासी और पिछड़े वर्ग के हितों का रखें ध्यान

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रांची/नई दिल्ली: CM Hemant Soren ने कहा कि झारखंड का करीब 30 प्रतिशत एरिया वन भूमि से आच्छादित है एवं अधिकांश खनिज संपदा वन क्षेत्र में अवस्थित है, जिसके लिए वन भूमि अपयोजन की आवश्यकता होती है।

अभी हाल के दिनों में वन संरक्षण (Forest preservation) अधिनियम, 1980 के अन्तर्गत नई नियमावली बनाई गई है जिसमें वन भूमि अपयोजन के लिए स्टेज दो क्लीयरेंस के पूर्व ग्राम सभा की सहमति के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है जो मेरे विचार से आदिवासी एवं पिछड़े वर्ग के हितों के प्रतिकूल है।

कम्पनियां इसके भुगतान में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही

उन्होंने कहा कि झारखंड में विभिन्न कंपनियों के भू-अर्जन, रॉयल्टी आदि मद में करीब एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया है।

लेकिन companies इसके भुगतान में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। इस बाबत कई प्रयास किये गए जिनका फलाफल शून्य रहा। सोरेन ने प्रधानमंत्री एवं नीति आयोग से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का भी आग्रह किया।

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