पटना: पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के जनता दल (यूनाइटेड) में जाने की चर्चा इन दिनों बिहार के सियासी हलकों में जोरशोर से है।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि दोनों दल के नेताओं में बातचीत लगभग तय हो गई है, बस तय समय का इंतजार है।
दोनों दलों के नेताओं के बयानों के बाद से इस चर्चा को और बल मिल रहा है कि दोनों दल के नेता एक-दूसरे को अलग नहीं बता रहे हैं।
वैसे, उपेंद्र कुशवाहा का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ रहने और उनसे जुदा होने का कोई यह पहला मौका नहीं है। उपेंद्र ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही शुरू की थी।
उसके बाद कुशवाहा इससे पहले दो बार अलग हुए। इससे पहले नवंबर 2009 में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी राष्ट्रीय समता पार्टी का विलय जदयू में किया था। कुशवाहा हालांकि अब कहते हैं कि वे नीतीश कुमार से कभी अलग नहीं हुए।
पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद दोनों दलों को एक-दूसरे की याद आ गई। इस विधानसभा चुनाव में रालोसपा का सफाया हुआ तो जदयू को भी अपेक्षित सीटें नहीं मिली, जिसके बाद दोनों दलों के नेता एक-दूसरे की जरूरत बन गए हैं।
इस बीच, चुनाव के बाद कुशवाहा ठंड की सर्द रातों में नीतीश के दरबार में तीन बार पहुंचकर दोनों दलों के बीच जमी बर्फ को पिघलाने की शुरुआत कर दी।
उल्लेखनीय है कि चुनाव के बाद नीतीश कुमार जदयू को फिर से मजबूत संगठन और जनाधार की जमीन तैयार करने की कोशिश में लगे हैं। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा को भी राजनीति में अपनी जमीन की फिर से तलाश है। इस तरह साथ आना दोनों की आवश्यकता है।
सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार के पहले कुशवाहा अगर जदयू के साथ चले आए तो कोई आश्चर्य नहीं है। उपेंद्र कुशवाहा को मंत्रिमंडल में शामिल कर नीतीश मंत्रिमंडल में भी सोशल इंजीनियरिंग कर देंगे तथा पार्टी में भी एक बड़ा नेता बढ़ जाएगा।
जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह कह भी चुके हैं कि उपेंद्र कुशवाहा अगर जदयू में आते हैं तो उनका स्वागत है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और कुशवाहा पहले से ही मित्र हैं। उन्होंने कहा कि पहले भी हमलोग एक साथ काम कर चुके हैं। वे कभी भी हमसे दूर नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति के लिए भी यह अच्छा होगा।
कुशवाहा भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद उन्हें बड़ा भाई बताते रहे हैं।
उधर, इस मामले में दोनों दलों के नेता हालांकि अभी तक कुछ भी खुलकर अधिकारिक रूप से नहीं बोल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बहुजन समाज पार्टी के बिहार में एकमात्र विधायक जमां खां जदयू में शामिल हो चुके है तथा लोजपा के विधायक भी जदयू के नेता से मिल चुके हैं।
बिहार में ओवैसी के पांच विधायक भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिल चुके हैं। जदयू के नेता विपक्षी दलों के विधायकों के संपर्क में होने का दावा भी करते हैं।