पटना: बिहार में पिछले महीने नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार गठन के बाद विधानसभा का पहला सत्र संपन्न हो गया।
इस दौरान विपक्षी दलों का आक्रामक रवैया भी देखने को मिला। अब, नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना जताई जा रही है। चर्चा है कि दिसंबर महीने में ही नीतीश कुमार मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं।
नीतीश की नई सरकार में एक भी मुस्लिम को मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर सियासत में खूब चर्चा भी रही, ऐसे में मंत्रिमंडल के विस्तार में मुस्लिम को स्थान दिया जाएगा या नहीं, यह बड़ा सवाल है।
बिहार चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का एक भी मुस्लिम प्रत्याशी जीतकर विधानसभा नहीं पहुंच सका है, ऐसे में तय है कि अगर नीतीश कुमार किसी मुस्लिम चेहरे को अपने मंत्रिमंडल में स्थान देना चाहेंगे, तो वह विधान परिषद का ही सदस्य होगा।
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने इस चुनाव में एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था वहीं जदयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवार जरूर उतारे थे।
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, राज्य में कुल 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं, जिनमें फिलहाल मुख्यमंत्री के अलावा 13 मंत्री हैं और मुख्यमंत्री को छोड़कर जदयू के सिर्फ चार मंत्री हैं। 22 और मंत्री की नियुक्ति अभी बाकी है।
नीतीश मंत्रिमंडल में मेवालाल चौधरी को भी शामिल किया गया था, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपी होने के कारण बाद में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
फिलहाल मंत्रियों के पास पांच-पांच विभागों का दायित्व है। इस कारण नीतीश कुमार जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार कर सकते हैं। दो दिन पहले जदयू के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक भी की थी।
सूत्रों का कहना है कि नीतीश मंत्रिमंडल का जल्द ही विस्तार हो सकता है। सूत्रों की मानें तो इसके लिए जल्द ही राजग की बैठक बुलाकर मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल विस्तार के लिए नामों पर मंथन करेंगे।
इस विस्तार में भाजपा के कम से कम 10 नए चेहरों को मौका मिल सकता है, जिनमें युवा और अति पिछड़े व दलित वर्ग से आने वाले विधायकों को भी मंत्री पद की जिम्मेवारी मिल सकती है।
जदयू भी इस मंत्रिमंडल में अपने नए लोगों को मौका दे सकती है। ऐसे में यह भी तय माना जा रहा है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में जदयू किसी मुस्लिम चेहरे को मंत्री बना सकती है।
इस चुनाव में जदयू, भाजपा से कम सीटें लाकर राजग में छोटे भाई की भूमिका में है, जिसे लेकर जदयू संजीदा है। जदयू भविष्य को लेकर अभी से ही मंथन में जुट गई है।
जदयू के एक नेता भी मानते हैं कि सीटों की संख्या तो कम हो ही गई है, उम्मीद के मुताबिक मुस्लिमों का समर्थन भी पार्टी को नहीं मिला है, जिसका खामियाजा पार्टी को इस चुनाव में उठाना पड़ा है।
ऐसे में तय है कि नीतीश कुमार किसी मुस्लिम को मंत्री बना कर मुस्लिम वोटर को बड़ा मैसेज देने की कोशिश कर सकते हैं।