देहरादून: केदारनाथ धाम में पूजा व्यवस्थाओं को लेकर सोशल मीडिया (Social Media) में वायरल हो रहे पुराने वीडियो पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने स्थिति स्पष्ट की है।
उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा से मंदिर में प्रसाद चढ़ाते हैं और स्वेच्छा से चढ़ावा राशि दानपात्र में डालते हैं।
अजेंद्र अजय ने कहा कि पिछले दो साल में कोविड महामारी के कारण सरकार की ओर से पूजा व दर्शन के लिए एसओपी (मानक प्रचालन विधि) जारी की गई थी, जिससे मंदिरों में जलाभिषेक, पूजा करना, प्रसाद चढ़ाना, टीका लगाने के साथ मूर्तियों और घंटियों को छूने पर पूर्ण प्रतिबंधित था। सिर्फ धामों में श्रद्धालुओं को दर्शन करने की अनुमति दी थी।
परंपरा के अनुसार केदारनाथ मंदिर के कपाट प्रात: काल में खुलने व सायंकाल में कपाट बंद होने का समय निश्चित है।
इस दौरान आदिकाल से चली आ रही समस्त पूजा, नित्य-नियम भोग, श्रृंगार व धर्म दर्शन की परंपरा है। प्रात: काल में मंदिर खुलने के बाद सभी आम श्रद्धालुओं को दर्शन कराए जाते हैं, जिसमें किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है।
विशेष पूजा के लिए एक सहयोग राशि मंदिर समिति को देते हैं श्रद्धालु
श्रद्धालुओं को महाभिषेक, रुद्राभिषेक, प्रात: कालीन पूजा, सायंकालीन आरती करवाने का विधान है, यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है।
इन पूजा के लिए निश्चित समयावधि और संख्या मंदिर समिति की ओर निर्धारित की जाती है। जो सामान्य रूप से रात्रि के 12 बजे से तीन बजे के बीच होती है।
जिससे सामान्य रूप से आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन में किसी भी प्रकार की कठिनाई उत्पन्न न हो। जो श्रद्धालु स्वेच्छा से पूजा-अर्चना करवाना चाहते हैं, उन्हें ही प्राथमिकता दी जाती है, जिसे मंदिर समिति के आचार्य व वेदपाठी करते हैं। विशेष पूजा के लिए श्रद्धालु एक सहयोग राशि मंदिर समिति को देते हैं।
स्वैच्छिक पूजा के लिए श्रद्धालुओं की ओर से दी गई सहयोग राशि से भगवान के नित्य नियम भोग, पूजा, प्रसाद, पूजार्थ द्रव्य, भंडारा, चिकित्सा व्यवस्था, यात्री विश्राम गृह निर्माण, रखरखाव, संस्कृत महाविद्यालयों का संचालन, विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा, आवास, भोजन आदि की व्यवस्था एवं मंदिर समिति के पुजारी, अधिकारी, कर्मचारी, सेवाकारों को वेतन उपलब्ध कराया जाता है।