नई दिल्ली: एक शीर्ष सरकारी पैनल ने पाया है कि कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन में खून के थक्के जमने का जोखिम नहीं है।
कुछ यूरोपीय देशों ने खतरे को देखते हुए एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर अस्थाई रोक लगा दी थी, लेकिन यूरोपीय मेडिकल रेग्युलेटर की हरी झंडी के बाद कुछ देशों ने वैक्सीन का दोबारा इस्तेमाल शुरू करने का निर्णय लिया है।
नेशनल एडवर्ज इवेंट्स फॉलोइंग इम्युनाइजेशन कमेटी ने कहा है कि उन्होंने टीकाकरण के दौरान 400 से ज्यादा दुष्प्रभाव का विश्लेषण किया है।
कमेटी ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों में ब्लीडिंग और क्लॉटिंग की बात से इनकार किया है।
हालांकि, कमेटी ने आगे कहा है कि सरकार हालात पर निगरानी जारी रखेगी। देश में बीती 16 जनवरी से वैक्सीन प्रोग्राम शुरू किया गया है।
सरकार ने पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाने का फैसला किया था।
कुछ दिन पहले ग्लोबल एडवाइजरी कमेटी ने कहा था कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन में दुनियाभर में संक्रमण रोकने और मौतों को कम करने की क्षमता है। देश में अब तक 5 करोड़ वैक्सीन डोज दी जा चुकी है।
बीती 1 मार्च से सरकार ने आम लोगों के लिए वैक्सीन प्रोग्राम शुरू कर दिया है। फिलहाल 60 साल से ज्यादा उम्र और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को टीका लगाया जा रहा है।
दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन ड्राइव में बीते 24 घंटों में 32 लाख 53 हजार 95 डोज दी गई हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
देश में आगामी जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को टीका लगाए जाने का लक्ष्य है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने बताया है कि भारत ने 70 से ज्यादा देशों को वैक्सीन पहुंचाई है।
यूरोपीय मेडिकल रेग्युलेटर ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को सुरक्षित और असरदार बताया था।
इसके इस्तेमाल से खून में थक्के जमने की बात फिजूल है। इसके बाद यूरोपीय संघ के कई देशों ने वैक्सीन के इस्तेमाल को शुरू करने का फैसला किया है।
ईएमए की घोषणा के बाद वैक्सीन को अनुमति देने वालों में जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, इटली, नीदरलैंड्स, पुर्तगाल, लिथुआनिया, लातविया, स्लोवेनिया और बुल्गारिया हैं।