नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि कोरोना का इलाज कर रहे अस्पतालों में नोडल अधिकारी नियुक्त करें।
जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने इन अस्पतालों में आग से सुरक्षा का ऑडिट कराने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि चुनावी रैलियों में चुनाव आयोग की गाइड लाइन का पालन हो।
सरकार ऐसा तंत्र विकसित करे जिसमें लगातार काम कर रहे डॉक्टरों को क्रमवार ब्रेक दिया जाए।
पिछले 15 दिसम्बर को कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने बताया था कि उसने आग से सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए हैं।
गुजरात सरकार ने कहा था कि राज्य को कोरोना अस्पतालों में 328 फायर सेफ्टी अफसरों की स्पेशल ड्यूटी लगाई गई है। तब कोर्ट ने कहा था कि राज्य से 214 अस्पतालों में से 68 को अभी भी अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला है।
इस पर राज्य सरकार ध्यान दे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बाकी राज्यों के हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कहा था कि दिल्ली, महाराष्ट्र समेत ज्यादातर राज्यों ने अधूरी जानकारी दी है।
कई राज्यों ने तो यह भी जानकारी नहीं दी है कि उनके यहां कोरोना के लिए कुल कितने विशेष अस्पताल हैं और उनमें आग से सुरक्षा को लेकर क्या स्थिति है।
पिछले 27 नवम्बर को कोर्ट ने राजकोट के अस्पताल में हुए अग्निकांड पर संज्ञान लेते हुए गुजरात सरकार से रिपोर्ट तलब की थी।
कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते करते हुए कहा था कि महज दिशा-निर्देश तय करने से काम नहीं चलेगा, उन पर अमल सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है। केंद्र इस मामले में आगे बढ़े।
ये सुनिश्चित करे कि राज्य सरकारें एसओपी का पालन करें।