Yogi Adityanath Gyanvapi controversy: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने ज्ञानवापी विवाद को लेकर शनिवार को फिर अपनी बात रखी।
गोरखपुर विश्वविद्यालय में नाथ पंथ पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से उस ज्ञानवापी को आज लोग दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं, लेकिन वास्तव में ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ जी हैं।
यही विश्वनाथ धाम है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत के लिए अस्पृश्यता एक अभिशाप है। यह न केवल साधना के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है, बल्कि राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए भी सबसे बड़ी बाधा है।
देश के लोगों ने समझा होता तब देश गुलाम नहीं होता
इस बात को यदि देश के लोगों ने समझा होता तब देश गुलाम नहीं होता। इस मौके पर CM ने तीन पुस्तकों और पत्रिकाओं का विमोचन किया।
इसमें डॉ. पद्मजा सिंह की नाथपंथ पर लिखित पुस्तक और महायोगी गुरु श्री गोरखनाथ शोध पीठ की पत्रिका ‘कुंडलिनी’ शामिल हैं। इसके अलावा एक दिव्यांगजन कैंटीन का उद्घाटन भी हुआ। इस कैंटीन का संचालन दिव्यांगजन ही करने वाले है।
उन्होंने कहा कि आचार्य शंकर जब अपने अद्यैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए काशी में आए, तब साक्षात भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेनी चाहिए।
आदिशंकर, जब ब्रह्ममुहूर्त में गंगा स्नान के लिए जा रहे होते हैं, तब वह सबसे अछूत कहे जाने वाले एक सामान्य व्यक्ति के रूप में उनके मार्ग में खड़े हो जाते हैं। स्वाभाविक रूप से आदि शंकर के मुंह निकलता है, हटो, मेरे मार्ग से हटो।
इस पर सामने से उस सामान्य व्यक्ति के रूप में वह (भगवान विश्वनाथ) एक प्रश्न पूछते हैं कि आप तब अपने आप को अद्यैत ज्ञान के मर्मज्ञ मानते हैं।
भौतिक काया के अंदर छिपे हुए ब्रह्म को देख रहा है?
आप किसे हटाना चाहते हैं। आपका ज्ञान क्या इस भौतिक काया को देख रहा है या भौतिक काया के अंदर छिपे हुए ब्रह्म को देख रहा है?
यदि ब्रह्म सत्य है, तब जो ब्रह्म आपके अंदर है, वहीं ब्रह्म मेरे अंदर भी है।
इस ब्रह्म सत्य को जानकर यदि आप इस ब्रह्म को ठुकरा रहे हैं, तब इसका मतलब आपका यह ज्ञान सत्य नहीं है। आदि शंकर भौचक थे। उन्होंने पूछा कि आप कौन हैं।
इस पर उस सामान्य व्यक्ति ने कहा कि जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए आप पैरों से चलकर यहां आए हैं, मैं उसका साक्षात स्वरूप विश्वनाथ हूं। तब वह उनके सामने नतमस्तक होते हैं और उन्हें इस बात अहसास होता है कि यह जो भौतिक अस्पृश्यता है वहां न केवल साधना के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है बल्कि राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए भी सबसे बड़ी बाधा है।
इस बात को यदि देश के लोगों ने समझा होता तो देश गुलाम नहीं होता। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से उस ज्ञानवापी को आज लोग दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं लेकिन वास्तव में ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ जी हैं।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने की। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी, अमरकंटक के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी भी मौजूद रहे।