रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के जस्टिस संजय द्विवेदी की अदालत में बुधवार को प्रीति हत्याकांड (Preeti Murder Case) के फर्जी केस (Fake Case) में जेल में रहे युवक की याचिका पर सुनवाई की।
याचिकाकर्ता अजीत कुमार की ओर से मुआवजा (Compensation) दिए जाने और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि बिना सही जांच के किसी को जेल में रखना सही नहीं है।
इसके साथ अदालत ने राज्य सरकार के गृह विभाग को यह निर्देश दिया है कि पीड़ित युवक को हर्जाने के तौर पर 5 लाख रुपये दिए जाएं। यह जानकारी अजित कुमार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता आकाश दीप ने दी।
बिना DNA मैच कराए मान लिया कि शव प्रीति का है
राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता मनोज कुमार अदालत के समक्ष उपस्थित हुए।
उल्लेखनीय है कि 15 फरवरी, 2014 को रांची के चुटिया की रहने वाली प्रीति लापता हो गई थी।
घटना के दूसरे दिन 16 फरवरी, 2014 को बुंडू थाना क्षेत्र स्थित मांझी टोली पक्की रोड के समीप एक शव मिला था।
पुलिस ने DNA मैच कराए बिना मान लिया कि शव प्रीति का है।
साथ ही धुर्वा के 3 युवकों अजित कुमार, अमरजीत कुमार और अभिमन्यु उर्फ मोनू को गिरफ्तार कर लिया।
बिना सही अनुसंधान के तीनों छात्रों को गिरफ्तार किया
तीनों युवकों को 17 फरवरी, 2014 को जेल भेज दिया गया। तीनों युवक इनकार करते रहे कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी।
CID की जांच के बाद इस केस के अनुसंधानकर्ता सुरेंद्र कुमार, तत्कालीन चुटिया थाना प्रभारी कृष्ण मुरारी और तत्कालीन बुंडू थाना प्रभारी संजय कुमार को निलंबित किया गया था।
साबित हुआ था कि इन तीनों ने बिना सही अनुसंधान के तीनों छात्रों को गिरफ्तार किया और उन्हें जेल भेज दिया।