पटना: बिहार में अब अपनी मर्जी से लोग स्टेट हाईवे के आसपास कोई निर्माण या व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं खोल सकेंगे। नेशनल हाईवे एक्ट की तर्ज पर बिहार में भी सरकार अपना हाईवे एक्ट ला रही है।
इस एक्ट को ड्राफ्ट किए जाने की योजना पर काम चल रहा है। पथ निर्माण विभाग इस एक्ट पर काम कर रहा है।
आम तौर पर यह देखा गया है कि स्टेट हाईवे के विकसित होते ही सड़क के किनारे अनियंत्रित ढंग से ढाबे, दुकान व अन्य व्यावसायिक व आवासीय इलाके बनने लगते हैं।
बिहार हाईवे एक्ट में यह प्रावधान किया जा रहा है कि स्टेट हाईवे या फिर मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड (एमडीआर) के किनारे जो भी निर्माण होगा उसके लिए हाईवे एक्ट का इस्तेमाल किया जाएगा।
इस एक्ट को देखरेख करने वाली ऑथारिटी की अनुमति के बगैर स्टेट हाईवे या फिर एमडीआर के इर्द-गिर्द किसी तरह का कोई निर्माण नहीं होगा।
बिहार हाईवे एक्ट में इस बात का प्रावधान किया जा रहा है कि स्टेट हाईवे के इर्द-गिर्द जिस जमीन का निबंधन होगा, उससे सरकार को मिले राजस्व में संबंधित रोड डिवीजन की भी हिस्सेदारी होगी।
इसी तरह उक्त रोड के इर्द-गिर्द डीजल व पेट्रोल बिक्री के जो आउटलेट होंगे उन्हें बिक्री के आधार पर सरकार को सेस देना होगा।
उसमें भी उक्त रोड डिवीजन की एक तय प्रतिशत में हिस्सेदारी होगी। सड़कों का रखरखाव व सड़क को विकसित करने की योजना भी इस एक्ट के माध्यम से बनेगी।
इसके लिए संबंधित रोड डिवीजन को अधिकार दिए जाएंगे। सड़क को नए सिरे से विकसित करने के लिए जमीन अधिग्रहण का काम भी बिहार हाईवे एक्ट के माध्यम से होगा।
इसके अतिरिक्त सड़कों पर अतिक्रमण हटाने और अतिक्रमण नहीं हो इसे देखने की व्यवस्था भी इस एक्ट के माध्यम से होगी।
कार्यपालक अभियंताओं को मिलेंगे दंड के अधिकार
एनएच एक्ट में यह प्रावधान कि किसी सड़क के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को यह अधिकार है कि अपने अधीन की सड़क पर अतिक्रमण या एक्ट के विपरीत आचरण पर वह दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है।
जुर्माना लगाने का भी अधिकार है। बिहार हाईवे एक्ट में भी यह प्रावधान किया जा रहा है।
संबंधित रोड डिवीजन के कार्यपालक अभियंताओं को यह अधिकार दिया जा रहा है।
बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की सड़कों पर यह अधिकार उक्त प्रोजेक्ट के डीजीएम का होगा।