नई दिल्ली: वर्ष 2023 के ग्रीष्मकालीन शादी का अंतिम लग्न (Wedding Finale) पूरा होने के साथ शहनाई की धुन भी थम गई। शादी विवाह (Wedding Marriage) जैसे शुभ कार्य अगले 148 दिन के लिए बंद हो गए।
अब विवाह की शहनाई गोवर्धन पूजा व देव उठनी एकादशी (Govardhan Puja and Dev Uthani Ekadashi) के बाद ही गूंजेगी। 28 जून अंतिम दिन होने से चारों तरफ गांव-गांव में शादी की शहनाई सुनने को मिली।
पंडितों का अनुमान है कि इस दिन पूरे जिले में शहर और आसपास के क्षेत्रों में 150 से अधिक जोड़े विवाह बंधन में बंधे।
इसके बाद विवाह देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के बाद 23 नवम्बर से शुरू होंगे यानी अब अगले विवाह मुहूर्त शुरू होने के लिए 148 दिन इंतजार करना होगा।
मान्यता के अनुसार, चातुर्मास में सृष्टि के पालनहार कहे जाने वाले भगवान विष्णु क्षीरसागर में आराम कर रहे होते हैं। ऐसे में 29 जून से लेकर 23 नवम्बर तक यानी 148 दिनों तक शादी-ब्याह समेत किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
आचार्य डा. रामलाल त्रिपाठी ने बताया कि देवशयनी एकादशी 29 जून से चतुर्मास के आरंभ के साथ ही क्षीरसागर में ठाकुरजी शयन के लिए चले गए।
इस बार चातुर्मास चार नहीं बल्कि पांच माह का होगा। सावन में मलमास (अधिकमास) लग रहा है। श्रीहरि विष्णु करीब 148 दिनों तक योगनिद्रा में रहेंगे, तब तक संसार का कार्यभार देवो के देव महादेव के हाथों में होगा।
25 सितम्बर को भगवान करवट लेंगे और 23 नवम्बर को पांच माह के बाद योगनिद्रा (Yoga Nidra) से जागेंगे। भगवान के जागते ही सभी तरह के शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे।
आचार्य ने बताया कि समस्त मांगलिक कार्य (Manglik work) भगवान विष्णु के जागृत अवस्था में ही किए जाते हैं। इस समय विष्णु भगवान के शयन करने से विवाह, वर वरण, कन्या वरण, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार, शिवजी को छोड़कर देव प्रतिष्ठा, महायज्ञ का शुभारंभ, राज्याभिषेक, कर्णवेध, मुंडन आदि कार्यों का निषेध किया गया है, लेकिन कुछ कार्य इस समय भी किए जाते हैं।
इनमें पुंसवन, प्रसूति स्नान, इष्टिका दहन, नामकरण, अन्नप्राशन, व्यापार आरंभ आदि किए जा सकते हैं।
चतुर्मास का वैज्ञानिक महत्व भी
आचार्य ने बताया कि चतुर्मास का धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक (Scientist) महत्व भी है। वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो इन दिनों बारिश होने से हवा में नमी बढ़ जाती है।
इस कारण बैक्टीरिया से संक्रामक रोग सहित अन्य बीमारियां होने लगती है। इससे बचने के लिए खानपान में सावधानी रखने के साथ संतुलित जीवनशैली अपनानी चाहिए।
तीन जुलाई को है गुरू पूर्णिमा
आचार्य ने बताया कि तीन जुलाई को गुरू पूर्णिमा (Guru Purnima) का पर्व है। इस दिन विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम समेत अन्य मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ जुटेगी।
भोलेनाथ के पास होगा सृष्टि संचालन का प्रभार
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चातुर्मास में सृष्टि संचालन का प्रभार भगवान भोलेनाथ (Lord Bholenath) के पास रहेगा। इसमें धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे, पर विवाह समेत शुभ कार्य नहीं होंगे।
चातुर्मास से ही सूर्यदेव दक्षिणायन हो जाएंगे। नकारात्मक का प्रतीक दक्षिणायन (Prateek Dakshinayan) सूयदेव का अपना ही एक विशेष महत्व है। इसमें पूजा, जप, तप का विशेष स्थान है। पूजा और साधना करने से सभी विकार दूर हो जाते हैं।
नवम्बर व दिसम्बर माह के वैवाहिक मुहूर्त
नवम्बर: 24, 26, 27, 28 व 29
दिसम्बर: 05, 06, 07, 08, 09, 11, 14 व 15
80 प्रतिशत मैरिज लाॅन की बुकिंग
नवम्बर व दिसम्बर में मुहूर्त केवल 13 दिन होने से विवाह के लिए ज्यादातर मैरिज लाॅन की बुकिंग (Marriage Loan Booking) फुल होने की स्थिति में है।
जनवरी और फरवरी के लिए भी लोग अभी से बुकिंग करा रहे हैं। करीब आधे Marriage Hall and Marriage Garden तक बुकिंग कराई जा चुकी है।
…फिर खरमास लगने पर थम जाएंगे वैवाहिक कार्यक्रम
नवम्बर व दिसम्बर की लग्न मुहूर्त के बाद 16 दिसम्बर को भगवान सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ खरमास लग जाएगा, फिर वैवाहिक कार्यक्रम थम जाएंगे। 14 जनवरी 2024 को खरमास का समापन होगा, उसके बाद ही वैवाहिक कार्यक्रम (Wedding Ceremony) शुरू होंगे।