नई दिल्ली : पहले टमाटर ने दिखाई लाल आंखें। फिर प्याज ने आंखों में ला दिए आंसू। धीरे-धीरे दोनों ने थोड़ा रहम किया तो अब चीनी आ गई अपनी मिठास को कड़वाहट में बदलने। मुई महंगाई न जाने कब तक आम लोगों को सताती रहेगी।
मीडिया से मिल रही जानकारी के अनुसार, बीते एक पखवाड़े यानी 15 दिनों में में चीनी की कीमतों में 3% से अधिक की वृद्धि के साथ कीमतें छह वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं हैं। मांग और आपूर्ति से जुड़ी दिक्कतों के बीच सरकार की ओर से चीनी के निर्यात पर अंकुश लगाया जा सकता है।
बारिश की कमी के कारण घबराहट
मीडिया रिपोर्ट्स में व्यापारियों और उद्योग जगत के अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया है कि देश के प्रमुख चीनी उत्पादक क्षेत्रों में बारिश की कमी के कारण घबराहट की स्थिति बनी है, जो आगामी सीजन में उत्पादन में गिरावट का संकेत देती है।
अगर ऐसा होता है तो त्योहारों के पहले चीनी की कीमतों पर इसका असर दिख सकता है।
उत्पादन घटना की आशंका
रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्तूबर से शुरू होने वाले नए सीजन में चीनी उत्पादन 3.3% घटकर 31.7 मिलियन मीट्रिक टन हो सकता है, क्योंकि कम बारिश से दक्षिणी भारत के पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की पैदावार प्रभावित हो सकती है, इनका कुल भारतीय उत्पादन में आधे से अधिक का हिस्सा है। इस बीच चीनी की कीमतें मंगलवार को बढ़कर 37,760 रुपये (454.80 डॉलर) प्रति मीट्रिक टन पर पहुंच गईं, जो अक्टूबर 2017 के बाद से उच्चतम स्तर है।