धनबाद: शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के तहत बीपीएल कोटे से प्राइवेट स्कूलों में होने वाले नामांकन में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है।
आलम ये है कि 30 दिन वाले नवंबर महीने में बच्चे का जन्म 31 को दिखा दिया गया है। जी हां, नाम: आनंद कुमार, जन्म स्थान: सूर्या क्लीनिक और जन्म तिथि: 31 नवंबर 2015 है।
जन्मतिथि से ही स्पष्ट है कि फर्जी प्रमाणपत्र बनाया गया। नगर निगम, धनबाद के नाम से 20 दिसंबर 2019 काे जारी यह संदिग्ध प्रमाणपत्र सेंट जेवियर्स इंटरनेशनल स्कूल, नावाडीह काे बीपीएल काेटे में बच्चे के नामांकन के लिए मिला है।
इतना ही नहीं, जीतपुर एकेडमी काे तो एक ही नंबर से जारी 6-7 जन्म प्रमाणपत्र मिल चुके हैं।
जन्म प्रमाणपत्रों के सत्यापन का निर्देश, संबंधित अभिभावकों पर होगी FIR
मामले में डीएसई इंद्रभूषण सिंह ने नगर निगम, धनबाद से प्रमाणपत्राें का सत्यापन कराने की बात कही है।
उन्हाेंने बताया कि स्कूलाें काे मिल रहे कई जन्म प्रमाणपत्र प्रथम दृष्टया फर्जी प्रतीत हाे रहे हैं।
निगम से सत्यापन में भी प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए ताे संबंधित अभिभावक पर प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। संबंधित स्कूलाें काे संबंधित अभिभावकाें पर प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया जाएगा।
यह मामला फर्जीवाड़े का ही नहीं, जरूरतमंद बच्चाें के हक मारने का भी है।
मामले में स्कूलाें से संदिग्ध प्रमाणपत्र की छाया प्रति मंगाई जाएगी अाैर उसके बाद सत्यापन के लिए निगम से अपील की जाएगी।
डीसी ने डीएसई को बुलाया, होगी कानूनी कार्रवाई
इधर, उपायुक्त ने मामले की गंभीरता काे देखते हुए बुधवार काे डीएसई काे बैठक के लिए बुलाया है। वहीं डीसी उमाशंकर सिंह ने कहा कि मामले में डीएसई के साथ बैठक करेंगे।
काेई भी व्यक्ति सरकारी याेजना का लाभ गलत तरीके से नहीं ले सकता है। अगर फर्जी या गलत तरीके से सरकारी याेजना का लाभ लेता है ताे उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
नगर निगम को संदेहास्पद जन्म प्रमापण पत्रों का इंतजार
निगम संदिग्ध प्रमाणपत्राें की जांच काे तैयार है, वह केवल शिक्षा विभाग/ संबंधित स्कूल की शिकायत के इंतजार में है।
नगर अायुक्त सत्येंद्र कुमार ने कहा कि संदेहास्पद जन्म प्रमाण पत्र की शिकायत अभी तक निगम काे नहीं मिली है।
शिकायत पर निगम सभी प्रमाण पत्राें की सत्यता की जांच करेगा। प्रमाण पत्र निगम के झरिया कार्यालय से जारी हुए हैं या किसी बाहरी व्यक्ति ने फर्जी बना कर अभिभावकाें से ठगी की है, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हाेगा।