रांची: राज्यपाल और सरकार (Governor And Government) के बीच फिर एक बार विवाद गहरा गया है। इस बार विवाद का विषय TAC की बैठक (TAC Meeting) है।
राजभवन की तरफ से TAC के गठन की नियमावली असंवैधानिक बताने के बावजूद TAC की बैठक आयोजित कर दी गयी। इस बैठक को राजभवन ने गंभीरता से लिया है।
सरकार की तरफ से TAC की बैठक बुलायी गयी
राज्यपाल के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने मुख्य सचिव के माध्यम से सरकार से पूछा है कि आखिर राजभवन की आपत्ति के बावजूद जवाब दिए बगैर कैसे TAC की बैठक आयोजित की गयी।
इतना ही नहीं इसे संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों के खिलाफ भी बताया गया है। इस मामले पर अब तक सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है।
दरअसल, निकाय चुनाव को लेकर सरकार की तरफ से TAC की बैठक बुलायी गयी, जिसके बाद बीते शुक्रवार राजभवन की तरफ से फिर से एक बार सरकार को चिट्ठी भेजी गयी।
इससे पहले TAC गठन को लेकर राजभवन ने चार फरवरी को आपत्ति जताई थी लेकिन नौ महीने बीतने के बाद भी सरकार की तरफ से राजभवन को इस मामले में कोई जवाब नहीं भेजा गया और सरकार ने राजभवन (Raj Bhavan) की नाराजगी को नजरअंदाज करते नौ माह बाद नवंबर में बैठक भी बुला ली।
उल्लेखनीय है कि झारखंड सरकार ने TAC गठन से संबंधित फाइल स्वीकृति के लिए राजभवन भेजी थी।
राजभवन ने इसे असंवैधानिक बताते हुए वापस कर दिया था और इसमें जरूरी संशोधन का निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने इसमें कोई संशोधन नहीं किया और टीएसी की बैठक बुला ली। पूरा विवाद इसे लेकर है।
बैठक के बाद बढ़ रहा है विवाद
झारखंड सरकार (Jharkhand Government ) ने TAC के गठन को लेकर नई नियमावली गठित कर दी। इसमें स्पष्ट कर दिया कि फाइल राजभवन की स्वीकृति के लिए नहीं भेजी गई।
नई नियमावली में अब TAC के गठन और सदस्यों की नियुक्ति में राजभवन का अधिकार नहीं होगा। इसे खत्म कर दिया गया।
TAC की बैठक को लेकर नयी नियमावली में मुख्यमंत्री की स्वीकृति से ही सदस्यों की नियुक्ति होगी। नयी नियमावली छत्तीसगढ़ की तर्ज पर बनाई गई, जहां सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है।
राज्यपाल ने इसकी जानकारी उसी वक्त तत्कालीन राष्ट्रपति तथा केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) को भेज दी थी। अब इसे लेकर हुई बैठक के बाद विवाद बढ़ रहा है।