… और अब अचानक प्याज ने आंखों से अधिक आंसू निकालना कर दिया शुरू

News Aroma Media

Hike in Onion Price: प्याज के दाम (Onion price) लोगों को रुला रहे हैं। हफ्ते भर पहले 30 से 40 रुपये प्रति किलो बिकने वाले प्याज के दाम में अब सीधा 50 फीसदी तक की वृद्धि हो गई है। राजधानी दिल्ली के रिटेल मार्केट में प्याज 50 से 60 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है।

… और अब अचानक प्याज ने आंखों से अधिक आंसू निकालना कर दिया शुरू-...and now suddenly onion started taking out more tears from the eyes

सरकार के दखल के बावजूद बढ़ती जा रही कीमत

सरकार ने अपने बफर स्टॉक से NCCF and NAFED के जरिए प्याज बेचने का ऐलान किया था। सरकार प्राइस स्टैबलाइजेशन फंड के जरिए प्याज का बफर स्टॉक भी खड़ा किया है जिससे प्याज की कीमतों में तेज उछाल से आम उपभोक्ताओं को राहत दी जा सके।

प्याज के एक्सपोर्ट पर नकले कसने के लिए 40 फीसदी का एक्सपोर्ट ड्यूटी भी लगा दिया गया। पर इसके बावजूद Retail Market में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है।

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प्याज के दाम ने लिया राजनीतिक रुख

प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी तब देखने को मिल रही है जब नवंबर, 2023 में उत्तर भारत के प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव है। ये वो राज्य हैं जहां प्याज की खपत ज्यादा होती है।

प्याज की कीमतों में तेज उछाल से सत्ताधारी दल को चुनावी नुकसान भी हो सकता है। विपक्षी दल कांग्रेस ने अभी से प्याज की कीमतों में उछाल के बाद अपने सोशल मीडिया हैंडल (Media Handle) के जरिए सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।

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सरकार की TOP स्कीम असफल

हर वर्ष आलू, प्याज, टमाटर की कीमतों में भारी उतार चढ़ाव देखने को मिलता है। इससे निपटने के लिए वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में सरकार ने टमाटर, प्याज और आलू यानि TOP के वैल्यू चेन को डेवलप करने के लिए ऑपरेशन फ्लड (Operation Flood) के तर्ज पर ऑपरेशन ग्रीन का ऐलान किया था जिसके लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था।

बाद में कोविड के पहले लहर के दौरान आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा के दौरान इस योजना में सभी फलों और सब्जियों को शामिल कर दिया गया। फूड प्रोसेसिंग मिनिस्ट्री (Food Processing Ministry) इस योजना को चलाने वाली नोडल एजेंसी है।

हालांकि मंत्रालय के स्कीम को सही तरह से Operate करने पर सवालिया निशान उठते रहे हैं। इस बात के आसार हैं कि कृषि मंत्रालय को टॉप (TOP) स्कीम को सही क्रियान्वन के लिए सौंपा जा सकता है।

टॉप स्कीम के लंबी अवधि और छोटी अवधि के दो उद्देश्य हैं। Long Term Intervention के तहत प्रोडक्शन कल्स्टर और एफपीओ की मजबूती के साथ ही किसानों को मार्केट के साथ जोड़ना बड़ा मकसद है।

साथ ही फॉर्म गेट इंफ्रास्ट्रक्चर (Form Gate Infrastructure) को तैयार कर फसल के पैदा होने के बाद किसानों को होने वाले नुकसान से बचाना लक्ष्य है। छोटी अवधि वाले इंटरवेशन के तहत किसानों को कम दाम या नुकसान पर प्रात्रता रखने वाले फसलों को बेचने से रोकना है।

किसानों को स्कीम के गाइडलाइन के तहत ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज फैसिलिटी (Transportation and storage facility under) हायर करने पर 50 फीसदी की सब्सिडी भी देने का प्रावधान है।

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